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राम से बड़ा राम का नाम, राम नाम जाप के अद्भुत चमत्कार!

Ram Nam Ke Fayde! प्रभु राम के जन्म से पहले इस नाम का उपयोग ईश्वर के लिए होता था, अर्थात् ब्रह्म, परमेश्वर, ईश्वर आदि की जगह पहले ‘राम’ शब्द का ही प्रयोग किया जाता था, इसलिए इस शब्द की महिमा और बढ़ जाती है, तभी तो कहते हैं कि राम (Ram) से बड़ा राम (Ram) का नाम।

शास्त्रों के मुताबिक बलशालियों में सर्वाधिक बलशाली राम हैं, लेकिन राम से भी बढ़कर राम का नाम है। असंख्य संत-महात्माओं ने राम का नाम जपते-जपते मोक्ष पा लिया। राम भक्त हनुमान, लक्ष्मण, सुग्रीव, से लेकर कबीर, तुलसी और गांधीजी तक सभी राम का नाम ही जपते रहे हैं, यही नहीं रावण ने भी अपने अंतिम समय में राम का नाम पुकारकर अपना लोक-परलोक सुधारा। राम नाम की महिमा के प्रभाव से पत्थर भी तैरने लगते हैं।

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जब लंका (lanka) तक पहुंचने के लिए सेतु बनाया जा रहा था, तब सभी को संशय था कि क्या पत्थर भी पानी के ऊपर तैर सकते है, क्या तैरते हुए पत्थरों का बांध बन सकता है ? तब ऐसे में इस संशय को मिटाने के लिए प्रत्येक पत्थर पर राम नाम लिखा गया। सेतु बनने से पूर्व हनुमान जी भी सोच में पड़ गए कि बिना सेतु के मैं लंका कैसे पहुंच सकता हूं, लेकिन राम का नाम लेकर वह एक ही फलांग में समुद्र पार कर गए।

प्रभु श्रीरामलला का प्राण-प्रतिष्ठा दिवस

पौष शुक्ल द्वादशी, विक्रम संवत् 2080, सोमवार के शुभ दिन, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बाल रूप नूतन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, इस क्षण का वर्षों से राम भक्त बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस दिन सभी राम भक्तों को चाहिए कि वे अपने-अपने क्षेत्र के मंदिर अथवा घर के मंदिर में देवी-देवताओं का भजन, कीर्तन, आरती, पूजन करें तथा ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ विजय महामंत्र का कम से कम 108 बार जप एवं भजन जरूर करें।

इसी के साथ हनुमान चालीसा, सुन्दरकांड का पाठ, रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करना शुभ फलप्रद रहेगा। जहां राम नाम की गूंज होती है, वहां का वातावरण सात्विक एवं राममय हो जाता है। इस दिन सायंकाल सूर्यास्त के बाद राम भक्त देवी-देवताओं की प्रसन्नता के लिए घी के दीपक अवश्य जलाएं।

मर्यादा मतलब राम – मर्यादा शब्द का स्मरण आते ही सर्वप्रथम भगवान राम याद आते हैं। यूं तो हिन्दु धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं की मान्यता है, परन्तु केवल भगवान राम को ही मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है।

मर्यादा में रहने वाला पुरुष न केवल इस लोक में बल्कि परलोक में भी सुख का भागी होता है। सूर्य, चन्द्रमा सहित समस्त नवग्रह अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल, आकाश सभी की अपनी-अपनी मर्यादाएं हैं। जिस दिन मर्यादाओं का उल्लघ्घन होगा, वह दिन पृथ्वी का आखिरी दिन होगा। जैसे, अगर समुद्र अपनी मर्यादा त्याग दे तो समस्त भूलोक जलमग्न हो जाएगा, इसलिए भगवान ने प्रत्येक की मर्यादा की सीमा निश्चित की है।

अज्ञानतावश जीव स्वयं को कर्ता समझ लेता है, कर्ता तो महज प्रभु हैं, यह संसार उन्हीं की लीला है। राम उस असीम ऊर्जा का नाम है जो महाजालरूपी ब्रह्माण्ड की केन्द्रीय प्राणशक्ति है। अध्यात्म की शक्ति से मनुष्य हर युग में अपना कायाकल्प करता आया है। सनातन धर्म की शक्ति, परमात्मा का ज्ञान, राम की प्रेरणा, वह शक्ति है, जो हर बाधाओं को दूर कर सकती है, जो प्रकृति के सभी रहस्यों को उजागर करती है। विश्व में मर्यादा स्थापित करने के लिए ‘राम’ का आह्वान आवश्यक है।

Prachi Chaudhary

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