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क्या ओपी राजभर को BJP की योगी सरकार में मिलेगी जगह ?

सपा से BJP में आये दारा सिंह चौहान घोसी उपचुनाव में बड़े ही तेवर के साथ मैदान में सपा को चुनौती दी थी और कहा था कि सपा उमीदवार को मात देंगे और सपा को यह भी बता देंगे कि BJP के सामने उसकी ताकत क्या है ? उधर सपा से नाता तोड़कर सुभासपा नेता राजभर ने BJP और दारा सिंह को आश्वासन दिया था कि सपा को जमींदोज करेंगे और दारा सिंह को 50 हजार के अंतर से जीत दिलाएंगे। लेकिन जब परिणाम आये तो दारा सिंह 42 हजार के अंतर से चुनाव हार गए। दारा सिंह कही के नहीं रहे ,सपा में थे तो कम से कम विधायक थे। उनकी विधायकी भी गई और चुनाव भी हार गए। दारा सिंह कभी इस खेल को समझ भी नहीं पाएंगे। और यह भी नहीं समझ पाए थे कि समय एक जैसा नहीं होता। हमेशा जीत नहीं होती। कोई सीट किसी की बपौती भी नहीं होती। जो जीतता है वह हारता भी है। जब देश के बड़े -बड़े नेआत चुनाव हारते रहे हैं तब उनकी क्या विसात !


दारा सिंह लज्जित हैं। लेकिन राजनीति में तो यह सब चलता ही रहता है। जो जीत सकता है वह हार भी सकता है। लेकिन सबसे ज्यादा लज्जित तो सुभासपा नेता राजभर हैं। उन्ही खूब जगहसाई हो रही है। यह बात और है कि वे कुछ ज्यादा ही बोलते हैं। उनकी बोल बचन उनके समर्थकों को अच्छा लगता होगा लेकिन ज्यादा बोल देश की जनता को ठीक नहीं लगते। जनता ऐलानिया बयां को कतई बर्दास्त नहीं करती। जनता सबको मौक़ा देती है लेकिन सबको नीचे भी लाती है। यही जनता की ताकत है। जनता जाग जाए तो क्या नहीं हो सकता। जनता जाग जाए तो इस देश की काया ही पलट जाए और जनता जाग जाए तो इस देश के भीतर के लोकतंत्र पर कोई हमला भी नहीं कर सकता।


तो राजभर निशाने पर हैं। वे बीजेपी के भी निशाने पर हैं और योगी के भी निशाने पर हैं। घोसी चुनाव में राजभर ने सपा प्रमुख को सैफई तक पहुंचा देने की बात कही थी। राजभर को यह पता नहीं था कि सपा प्रदेश की बड़ी पार्टी है और बीजेपी को अकेले चुनौती देती है। आज भी सपा के पास बीजेपी के बाद सबसे ज्यादा सीट है। लेकिन सपा को चुनौती देने से राजभर बाज नहीं आये। उधर सीएम योगी के निशाने पर भी राजभर रहे हैं। कहने वाले तो यह भी कहते हैं कि राजभर की ऐंठन को ख़त्म किया गया है। यह ऐठन किसने ख़त्म की है इसकी चर्चा सूबे की राजनीति में खूब हो रही है।


लेकिन इसके बाद भी आजकल लखनऊ में चर्चा चल रही है कि वोगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा है और राजभर के साथ ही दारा सिंह को मंत्री बनाने की बात चल रही है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो कोई नहीं जानता लेकिन खबरे बन रही है। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी बड़ी तैयारी कर रही है। खासकर यूपी को लेकर बीजेपी काफी संजीदा भी है ,बीजेपी को पता है कि यूपी को नहीं साधा गया तो अगले चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है। बीजेपी जान रही है कि इस बार का खेल आसान नहीं है। ऐसे में उसे उन सभी सहयोगियों को भी साथ लेकर चलना है जिनका परफॉर्मेंस कमजोर है। ऐसे ही सहयोगी में राजभर भी शामिल है। बीजेपी अभी राजभर को और भी मौक़ा देना चाहती है। लोकसभा चुनाव में राजभर की उपलब्धि ठीक नहीं रही तो वे वैसे भी बीजेपी से अलग हो सकते हैं और इस बात की जानकारी को भी है।

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दो दिन पहले सीएम योगी की मुलाकात राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से हुई है। हालांकि योगी ने इस ,मुलाकात को शिष्टाचार मुलाकात कहा है लेकिन सच यह नहीं है। खबर आ रही है कि योगी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। बीजेपी आलाकमान भी मंत्रिमंडल विस्तार चाहता है ताकि जातीय समीकरण को साधा जाए। ऐसे में इस बात की सम्भावना ज्यादा बढ़ गई है कि दारा सिंह और राजभर को मंत्री बनाया भी जा सकता है। खबर की माने तो दारा सिंह भले ही मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हों लेकिन राजभर को जगह दी जा सकती है। क्योंकि बीजेपी के साथ आने के लिए राजभर ने यह शर्त भी रखी थी। इसलिए बीजेपी इस शर्त को पूरा जरूर कर सकती है। अब मंत्री बनने के बढ़ रजभर लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए कितने सार्थक बनते हैं यह देखने की बात होगी।

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