ट्रेंडिंगन्यूज़बड़ी खबरराजनीति

क्या अपराधी नेताओं पर लग जाएगी नकेल?

Supreme Court On Convicted Politicians: राजनीति के अपराधीकरण को लेकर न जाने कितनी तरह को बातें होती रही है। कई तरह के कानून भी बनते रहे हैं। संसद के भीतर भी बहस चलती रही है। न जाने कितने आयोग इस पर बन गए। कितनी रिपोर्टें आई लेकिन राजनीति और अपराधियों का रिश्ता खत्म नहीं हुआ। पहले नेता लोग अपराधी पालते थे और मौका देखकर उसका उपयोग करते थे। लेकिन अब समय बदल गया। अब तो अपराधी ही राजनीति में प्रवेश कर गए है और राजनीति को संचालित करते हैं ।पार्टी चलाते हैं और चुनाव भी जीतते-हारते हैं । जिन लोगों को जेल के भीतर होना चाहिए वे लोग आज संसद और विधान सभाओं में बैठे हैं। कानून बनाते है और पुलिस नौकरशाह उसके सामने दुम हिलाते है। लोकतंत्र का यह खेल कैसा है इसे देख कर दुनिया भी हम पर हंसती है लेकिन हम महान बनने से बाज कहा आते ।

Supreme Court On Convicted Politicians

Read: Political Latest News Update in Hindi Hindi Samachar Live News | News Watch India

अब एक नया मामला सामने आया है। मामला काफी रोचक है और इसे लागू कर दिया जाए तो बहुत हद तक आपराधिक राजनीति से देश को निजात मिल सकती है। हालांकि एक सच ये भी है कि हमारे देश में भले ही बहुत से सांसद और नेता आपराधिक चरित्र के हो सकते हैं लेकिन उनकी जनता में पैठ खूब होती है क्योंकि जनता इन्हें मानती और जानती भी है ।जबकि बहुत से नेता ऐसे भी है जिन पर मुकदमे भले ही नही हों लेकिन इनका चरित्र काफी दागदार राजा है। वे बेईमान होते हैं।ठग होते हैं और भ्रष्टाचारी भी होते हैं। ऐसे नेताओं को भी चिन्हित करने की जरूरत है। देश के असली दुश्मन ऐसे ही नेतानुमा लोग है जो किसी भी तरह पैसा कमाने का खेल करते हैं ।

अब कहा जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमित्र सलाह को अदालत स्वीकार कर लें तो देश की राजनीतिक छवि बदल सकती है। आपराधिक मामलों में सजा पाए नेताओं को उम्र भर चुनाव लड़ने से वंचित किया जा सकता है। ऐसा तब होगा जब सुप्रीम कोर्ट अपने न्याय मित्र सलाह को मान लेता है ।

दरअसल राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र ने कोर्ट को सलाह दी है कि सजायाफ्ता नेताओं को जीवन भर चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए। न्याय मित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने यह सलाह उस मामले में दी है जिसमें जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 को चुनौती दी गई है ।

वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि इस धारा के तहत दो साल या उससे अधिक को सजा पाने वाले नेता को गलत रियायत दी गई है। ऐसा सजायाफ्ता नेता अपनी सजा पूरी करने के 6 साल बाद चुनाव लड़ने के योग्य हो जाता है। इस प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया जाना चाहिए ।

इसी मामले को सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को न्याय मित्र नियत किया गया था। इसी मामले में इससे पहले याचिकाकर्ता को दलीलों और न्यायमित्र को रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में एमपी/एमएलए कोर्ट बनाने का आदेश दिया था ताकि जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मुकदमों का तेजी से निपटारा हो सके ।

हंसरिया की नई रिपोर्ट अब नेताओं को मुश्किल में डाल सकती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आपराधिक मामले में सजा पाने वाले व्यक्ति सरकारी नौकरी के अयोग्य हो जाते हैं। अगर वह नौकरी पर है तो उसे बर्खास्त कर दिया जाता है। इधर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या फिर केंद्रीय सतर्कता आयोग जैसी संस्थाओं में भी सजायाफ्ता व्यक्ति को किसी पद के लिए अयोग्य माना जाता है। ऐसे में नेताओं को विशेष छूट देने की कोई जरूरत नहीं । कोई औचित्य नहीं। इस बात की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि सजा पाने वाला व्यक्ति संसद और विधान सभा में बैठकर दूसरों के लिए कानून बनाए ।

अब यह मामले बहुत जल्द ही सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने आने वाला है। कोर्ट इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार से जवाब मांग सकती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट अगर सजायाफ्ता लोगों को जीवन भर चुनाव न लड़ने देने के सुझाव को मान लेता है तो यह आपराधिक गतिविधियों में शामिल नेताओं के लिए बड़ा झटका हो सकता है । आपराधिक नेता अब डरे हुए हैं और सब मिलकर कोई जुगाड़ लगाने को तैयारी में जुट गए हैं ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

Show More

Akhilesh Akhil

Political Editor

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button