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Wrestlers Protest :रचनात्मक रूपांतरण का हिंसात्मक पहलु (violent aspect of creative transformation)

ओलंपिक में महिलाओं की भागीदारी 1900 में पेरिस ओलंपिक से शुरू हुई थी। इसमें केवल 22 महिलाओं ने भाग लिया था। जबकि इसमें कुल 997 खिलाड़ी थे। तभी से पूरी दुनिया में खेलों के प्रति महिलाओं का उत्साह सामने आने लगा। लेकिन जल्द ही इस रचनात्मक बदलाव ने फिर से हिंसक पहलुओं का शिकार हो गया।

खेल हमारी हिंसात्मक पहलुओं का रचनात्मक रूपांतरण है. खेलों की शुरूआत का इतिहास (history of the beginning of the games) तो यही कहता है. शिकार या युद्ध की कला को विकसित करने वाले अभ्यास के तौर पर खेलों की शुरुआत हुई थी. पूरी दुनिया में शिकार और युद्ध पुरुषों का ही काम माना जाता था. लड़कियों के लिए घर-आंगन में गुड्डे-गुड़ियों का खेल ही बचता था. 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस (athens) में आधुनिक समय का पहला ओलंपिक हुआ था. उसमें एक भी महिला खिलाड़ी ने शिरकत नहीं की थी. प्राचीन काल से ही ओलंपिक खेलों में महिलाओं को हिस्सा लेने की इजाजत नहीं थी. कहते हैं कि ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले घोड़ों को ही महिलाएं अपना नाम दे सकती थीं. ओलंपिक में महिलाओं के हिस्सा लेने की शुरूआत 1900 में पेरिस ओलंपिक से हुई. इसमें केवल 22 महिलाओं ने हिस्सा लिया था. जबकि इसमें कुल खिलाड़ी 997 थे. इसके बाद से पूरी दुनिया में खेलों के प्रति महिलाओं का उत्साह (enthusiasm of women) सामने आने लगा. लेकिन जल्द ही ये रचनात्मक रूपांतरण फिर से हिंसात्मक पहलुओं का शिकार होने लगा.

2000 के गौरव पर 2015 में लगा कलंक (The glory of 2000 was tarnished in 2015)
भारत में खेल जगत और महिला खिलाड़ियों के लिए पहला गर्व का पल सन 2000 में आया. सिडनी ओलंपिक (sydney olympics) में एथलीट कर्णम मल्लेश्वरी (Karnam Malleswari)ने पदक जीता. पहली भारतीय महिला खिलाड़ी के पदक जीतते ही देश के अरमान मचलने लगे. महिला खिलाड़ियों को सभी का प्रोत्साहन मिला और खेलों में उनकी भागीदारी तेजी से बढ़ी. पदकों की झड़ी के रूप में परिणाम भी सामने आए. लेकिन 2015 में कर्णम मल्लेश्वरी ने जो खुलासा किया वो हैरान करने वाला था. वैसे ये सिलसिला 2009 से ही शुरू हो चुका था.

शर्मनाक घटनाओं का सिलसिला (a series of embarrassing events)
-साल 2009 में आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) की महिला क्रिकेट खिलाड़ी ने एसोसिएशन के सचिव पर दुष्कर्म का आरोप लगाया. पुलिस ने इस मामले में केस भी दर्ज किया था.
-इसी साल हैदराबाद के एक स्टेडियम में महिला बॉक्सर (female boxer) ने आत्महत्या कर ली. उसने कोच पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
-2010 में राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम (national women’s hockey team) की खिलाड़ियों ने कोच पर आरोप लगाया. उन्होंने प्रताड़ना और गलत हरकतें करने की शिकायतें की. हॉकी महासंघ ने मामले को गंभीरता से लिया और कोच को इस्तीफा देना पड़ा.
-राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टीम (national women’s football team) की पूर्व कप्तान सोना चौधरी (Sona Chowdhary) ने तो उपन्यास ही लिख डाला. “गेम-इन-गेम” (“game-in-game”) नाम से प्रकाशित इस उपन्यास में उन्होंने हैरान करने वाले तथ्यों का जिक्र किया है. उन्होंने प्रताड़ना से बचने के लिए महिला खिलाड़ियों के लेस्बियन (lesbian) बन जाने की बात लिखी है.
-सोना चौधरी खुद हरियाणा से ताल्लुक रखती हैं. कहते हैं कि इसी उत्पीड़न के चलते वो हरियाणा से यूपी चली आईं थीं. यूपी आने के बाद उनका खेल निखरा और देश की टीम की कप्तानी का मौका मिला.
-साल 2011 में तमिलनाडु में एक मामला आया. यहां एक महिला बॉक्सर ने एसोसिएशन (women boxers association) के सचिव पर गंभीर आरोप लगाए. उसने कहा कि सचिव ने टीम में सिलेक्ट करने के बदले उससे शारीरिक संबंध (physical relationship) बनाने का प्रयास किया.
-इसके बाद साल 2015 में भारत की पहली ओलंपिक पदक विजेता खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी ने कोच रमेश मल्होत्रा (Ramesh Malhotra) का कच्चा-चिच्ठा खोल दिया. मल्लेश्वरी ने कोच पर 10 साल से ज्यादा समय तक महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लगाया था. उन्होंने भारोत्तोलन संघ (weightlifting federation) को तीन बार चेताया था कि महिला खिलाड़ियों को टीम में जगह दिलाने के नाम पर उनका उत्पीड़न किया जा रहा है.
-कर्णम मल्लेश्वरी की शिकायत पर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (sports authority of india) ने कोच रमेश मल्होत्रा का ट्रांसफर बेंगलुरु कर दिया. वहीं अपने बचाव में कोच मल्होत्रा ने उन पर लगे आरोपों को गलत बताया.
-साल 2014 में दिल्ली के इंदिरा गांधी इन डोरस्टेडियम (Indira Gandhi Indoor Stadium)में एक महिला जिमनास्ट के साथ सेक्शुअल हैरसमेंट (sexual harassment)का मामला सामने आया. पीड़ित यहां एशियन गेम्स (asian games)के लिए नेशनल कैंप (national camp) अटेंड करने आई थी. शिकायत के बाद को चमनोज राणा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
-साल 2015 में केरल की एक घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा. भारतीय खेल प्राधिकरण के ट्रेनिंग सेंटर में 4 महिला खिलाड़ियों ने सुसाइड की कोशिश की (players attempted suicide). बाद में एक की मौत भी हो गई. इन सभी का आरोप था कि साई में उनकेसाथ यौन उत्पीड़न होता है.
-साल 2015 में ही झारखंड के बोकारो (Bokaro of Jharkhand)में ताइक्वांडो (Taekwondo) कीएक महिला प्लेयर ने अपने ट्रेनर पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डालने का केस दर्ज कराया. उसका आरोप था कि ट्रेनिंग देने के बदले कोच उसके साथ गलत करना चाहता था.
-उत्तराखंड में तो इसी तरह के मामलों पर सीधे मुख्यमंत्री को ही दखल देनी पड़ी थी. साल 2017 में सूबे के खेल मंत्री के एक दावे के बाद सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत (CM Trivendra Singh Rawat) ने कहा कि किसी खिलाड़ी का शोषण हुआ है तो वो सामने आए, सरकार कार्रवाई करेगी.
-उत्तराखंड के खेल मंत्री (sports minister) का दावा था कि उनके पास ऐसी जानकारी आई है कि खेल संघों के कुछ पदाधिकारी महिला खिलाड़ियों का शोषण कर रहे हैं. कोई पीड़ित सामने आए तो वो धारा 376 के तहत FIR (FIR under section 376)तक दर्ज करवाने को तैयार हैं.
-साल 2021 में झारखंड में एकऔर मामला सामने आया. वेस्ट सिंह भूम जिले (West Singh bhum District)में बीजेपी के मीडिया प्रभारी (BJP media in charge) संजय मिश्रा पर एक महिला खिलाड़ी ने यौन शोषण का आरोप लगाया. इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी किया था और उसे जेल भी भेज दिया गया था.
-साल 2022 में महाराष्ट्र के अकोला में (Akola, Maharashtra) एक कबड्डी कोच (kabaddi coach) की इसी मामले में आजीवन कारावास (life imprisonment) की सजा भी हो चुकी है. ये महिला कबड्डी खिलाड़ी गर्भवती हो गई थी और डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल पहुंची थी. अस्पताल कर्मियों को शक हुआ तो उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दे दी. जब जांच पड़ताल हुई तो पूरे मामले का खुलासा हो सका.
-साल 2022 में यूपी ओलंपिक संघ के सचिव (Secretary of the Olympic Association)की अलग अलग महिलाओं के साथ विवादास्पद तस्वीरे वायरल हुईं तो बवाल मच गया. आरोपी आनंदेश्वर पांडेय (Anandeshwar Pandey) ने इसे साजिश करार दिया लेकिन खेल अधिकारी संगठन (sports officials organization)ने जांच का आदेश दे दिया. आनंदेश्वर पांडे खुद भी राष्ट्रीय स्तर के हैंडबॉल खिलाड़ी (handball player)रहे हैं. इसके अलावा वो लंबी दूरी के धावक (athlete)भी रह चुके हैं.
-साल 2022 में भारतीय खेल प्राधिकरण ने साइकिलिंग के मुख्य कोच (cycling head coach)आरके शर्मा पर बर्खास्तगी की कार्रवाई (action of dismissal)की. एक महिला साइकिलिंग खिलाड़ी (female cyclist)के गंभीर आरोप पर ये कार्रवाई की गई. उनपर आरोप था कि प्रशिक्षण के लिए जब वोस्लोवेनिया (Slovenia)गए थे तो उन्होंने महिला खिलाड़ी के साथ गलत व्यवहार किया था. पीड़ित ने ये भी आरोप लगाए थे कि शर्मा ने उसे अपने साथ एक ही कमरे में रहने के लिए मजबूर किया था.
मंत्री-अधिकारी क्या कहते हैं ? (What do ministers andofficials say?)
हैरानी है कि इन सब मामलों से खेल मंत्री से लेकर अधिकारी और पूर्व अधिकारी तक सभी अवगत है. इन मामलों के सामने आने के बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर (Sports Minister Anurag Thakur) ने खुद कहा कि 2018 से स्पोर्ट्स अथॉरिटी पास ऐसी 17 शिकायतें आई हैं. सबसे ज्यादा 7 शिकायतें 2018 में और 6 कंप्लेन 2019 में मिली. वहीं साई के पूर्व डायरेक्टर जनरल (former director general) का मानना है कि ये आंकड़े ज्यादा भी हो सकते हैं. आशंका है कि कई मामलों की तो शिकायतें भी नहीं हुई होंगी.

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विदेशों में भी हैं ऐसे मामले
-कुछ समय पहले ही चीन की स्टार टेनिस खिलाड़ी (china star tennis player) पेंग शुआई (peng shui) का मामला सुर्खियों में रहा. इसने कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) के एक अधिकारी पर शोषण का आरोप लगाया. बाद में पेंग शुआई को दबाव के कारण आरोप वापस लेना पड़ा.
-पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीम (Pakistan women’s cricket team) की खिलाड़ियों ने भी कुछ अधिकारियों की पोल खोली थी. उन्होंने मुल्तान क्रिकेट क्लब (Multan Cricket Club) के अधिकारियों पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे.
-ब्रिटेन (Britain) में भी फुटबॉल कोच (soccer coach) पर इसी तरह के आरोप लगे थे. युवा महिला खिलाड़ियों (young female footballer) ने कहा था कि उनका करियर शुरू करने के दौरान उनके साथ यौन शोषण किया गया.
-अमेरिका में ओलंपिक खेलों में कई पदक विजेता महिला खिलाड़ियों ने एक डॉक्टर की करतूतों का खुलासा किया था. इनमें जिमनास्ट सिमोन (gymnast simone), गैबी डगलस (Gabby Douglas), एली रेसमैन (Eli Reisman) और मैककायला मारोनी (mccayla maroney) समेत दूसरी महिला एथलीट भी शामिल हैं. इन्होंने टीम के डॉक्टर रहे लैरी नासर (Larry Nassar) की हरकतों को उजागर किया. जांच में 500 से ज्यादा खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया.
ऐसे हो सकता है समाधान (this could be the solution)
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक (according to media reports) राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी शशि ठाकुर (national kabaddi player shashi thakur) ने कहा था कि टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में उन्होंने ऑब्जर्व किया कि महिला खिलाड़ियों के मुकाबले महिला कोचों (women coaches) की संख्या काफी कम है. देश के खेल संस्थानों में महिला कोचों की संख्या में इजाफा किया जाना जरूरी है. ऐसा होने पर ही पुरुष कोचों से निर्भरता कम होगी और महिला खिलाड़ी भी ज्यादा उत्साहित रहेंगी. शायद खेल जगत में यौन शोषण की वारदातों में कमी लाने में ये एक अच्छा कदम साबित हो.

Kamal

Political Editor

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