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वाराणसी में सनातन की ‘महाविजय’, ASI रिपोर्ट ने सबकुछ कर दिया साफ!

Varanasi News: अयोध्या  (Ayodhya) तो झांकी है, काशी-मथुरा बांकी है, जी हां कुछ ऐसी ही बातें इन दिनों सोशल मीडिया और हर घर में हो रही हैं। ज्ञानवापी परिसर पर आई ASI की सर्वे रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया, कि वहां धार्मिक स्वरूप मंदिर का ही है। यानी जिस जगह पर मस्जिद है वहां पहले से ही एक बड़ा मंदिर मौजूद है।

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दरअसल आपको बता दें कि 839 पन्नों वाली भारतीय पुरातत्व विभाग की सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि जहां ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई वहां पहले से ही मंदिर मौजूद है। ASI ने अपनी रिपोर्ट में तस्वीरों के साथ इस बात के प्रमाण भी दिए। जिसमें इस बात का दावा किया गया कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण कराया गया। ASI ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में इस बात का भी दावा किया कि ज्ञानवापी परिसर में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं। ज्ञानवापी का धार्मिक स्वरूप हिन्दू मंदिर का है  और मंदिर को तोड़कर वहां पर मस्जिद बनाई गई। ज्ञानवापी के खंभों पर हिन्दू देवी देवताओं के प्रतीक चिन्ह होने का भी दावा किया गया है। वहीं ज्ञानवापी के खंभों पर पशु पक्षियों के चिन्ह मिलने की भी सर्वे रिपोर्ट में बात कही गई है। ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने वाली ASI की टीम ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर हिंदू मंदिर का बचा हुआ हिस्सा अभी भी मौजूद है। और मस्जिद को मंदिर के स्तंभों के ऊपर ही बनाया गया है। वहीं ज्ञानवापी में शिलालेख मिलने की भी बात कही गई है जो प्राचीन देवनागरी, तेलगु और कन्नड़ भाषा में लिखे हुए हैं। बताया गया कि इन शिलालेखों पर जनार्दन, रूद्र और उमेश्वरा नाम भी लिखा हुआ मिला।

ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने सर्वे रिपोर्ट पर ऐतराज जताया। ज्ञानवापी मस्जिद समिति की तरफ से ये दावा किया गया कि ये  केवल एक सर्वेक्षण रिपोर्ट है और कोर्ट का असली फैसला आना अभी बाकी है। क्योंकि एक दिन पहले AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ASI को हिंदुत्व की कठपुतली बताया, इसलिए बीजेपी ने भी सामने आकर ओवैसी और मुस्लिम पक्ष को करारा जवाब दिया। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री प्रह्लाद पटेल ने ASI को प्रतिष्ठित संस्था बताया साथ ही मुस्लिम पक्ष से ASI की सर्वे रिपोर्ट पर भरोसा करने की अपील की।

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कैबिनेट मंत्री  प्रह्लाद पटेल ने कहा कि ASI देश की वो संस्था है जिसकी प्रतिष्ठा देश के बाहर भी है… हमारे रिटायर्ड अफसरों को भी जरूरत पड़ने पर विदेशों में बुलाया जाता है। न्यायालय ने जो रास्ता तय किया है, उस पर बिना किसी टिप्पणी के हमें विश्वास करना चाहिए। पूरे दिन सोशल मीडिया पर इस बात की भी चर्चा तेज रही कि वाराणसी में जल्द ही कोई बड़ा खेल हो सकता हैं।

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