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Bhagavad gita in NCERT syllabus: अब एनसीईआरटी की किताबो में पढ़ाई जाएगी भगवत गीता और वेदो के ज्ञान

बच्चो को को गीता का उपदेश और वेदों की जानकारी मिले इसके लिए 11 वी और 12 वी के संस्कृति पुस्तक में इसका समावेश किया जा रहा है।

एनसीईआरटी (NCERT) की किताबो में अब श्रीमद भगवत गीता और वेदों के ज्ञान दर्ज किये जाएंगे ताकि भारत के बच्चो को अपनी संस्कृति और धार्मिक जानकारी से परिपूर्ण किया जा सके। बच्चो को को गीता का उपदेश और वेदों की जानकारी मिले इसके लिए 11 वी और 12 वी के संस्कृति पुस्तक में इसका समावेश किया जा रहा है। इस बात की जानकारी संसद के पिछले सत्र के दौरान ही सरकार ने सदन को दी थी। सदन को सरकार ने बताया था कि राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् एनसीईआरटी (NCERT) की 11वीं और 12वीं तक की संस्कृत की पाठ्य पुस्तकों में श्रीमद् भगवद गीता के श्लोकों और वेदों के ज्ञान को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा छठी और सातवीं कक्षा की एनसीईआरटी पुस्तकों में भगवद गीता के संदर्भों को शामिल किया जाना चाहिए।

यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पैराग्राफ 4.27 में भारतीय पारंपरिक ज्ञान का उल्लेख है जो टिकाऊ है और आम जन के कल्याण का प्रयास करता है। शिक्षाराज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने एक लिखित जानकारी में कहा कि मंत्रालय ने 2020 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद में भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) डिवीजन का गठन अंतःविषय और ट्रांस-डिसिप्लिनरी रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए किया था।

इधर ,अब एनसीईआरटी (NCERT) ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विकास शुरू कर दिया है। इस शताब्दी में ज्ञान शक्ति बनने के लिए हमें अपनी विरासत को समझना होगा और दुनिया को चीजों को करने का ‘भारतीय तरीका’ सिखाना होगा। संसदीय पैनल ने एनसीईआरटी (NCERT) को पूर्वोत्तर सहित देश के सभी क्षेत्रों से ‘अनजान स्वतंत्रता सेनानियों’ की उपलब्धियों और बलिदानों, प्रमुख भारतीय महिला हस्तियों को एनसीईआरटी की ‘नियमित पुस्तकों’ में शामिल करने की सलाह भी दी है ताकि इसे ‘अनिवार्य पठन सामग्री’ बनाया जा सके।

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सरकार का यह पहल हालांकि काफी पहले ही की जाने की जरूरत थी लेकिन जानकार कह रहे हैं कि अपनी विरासत और ज्ञान संसार को जब से जाना जाए तभी से बेहतर है। हालांकि सरकार की यह योजना विपक्ष के निशाने पर भी है लेकिन कोई भी विपक्षी दल इस पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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