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पिता ने ठुकराया, इंग्लिश के वजह से नौकरी भी नही कर पाया, कड़ी मेहनत से बनाई अलग पहचान, ये है Govinda की अनकहीं दास्तां

21 दिसंबर 1963 को मुम्बई में जन्में गोविंदा (Govinda) बचपन में अपने पिता के लिए तरस गए थें। गोविंदा अपने 6 भाई-बहनों में से सबसे छोटें हैं। जब चीची का जन्म होना था उसी वक्त उनकी मां ने साध्वी बनने का निर्णय कर लिया था और वो गोविंदा के पिता से अलग होने लगीं या यूं कहें कि दोनों में दूरियां आनी शुरु हो गईं।

नई दिल्ली: मां के दुलार और कड़ी मेहनत से किस्मत बदल देने वाले गोविंदा (Govinda) आज 59 साल के हो गए हैं। गोविंदा अपने अलग डांसिंग स्टाइल और ऑन टाईम कॉमिक के कारण फैंस के बीच आज भी फेवरेट बने रहते हैं। उनके डांस को दर्शक इतना पसंद करते हैं कि लोग उसे कॉपी करने की भी कोशिश करते हैं। अभिनेता ने अपने अबतक के करियर में 165 फिल्में फिल्में कर चुके हैं। मगर चीची उर्फ गोविंदा (Govinda) की शुरुआती ज़िन्दगी बहुत मुश्किल भरी थी। बचपन में गोविंदा पिता के प्यार के लिए भी तरसे थें। चलिए जानते हैं पिता के प्यार से लेकर गोविंदा के ज़िन्दगी के संघर्ष से जुड़ी अनकही दास्तां।

बचपन से पिता के लिए दुश्मन बन गए अभिनेता

21 दिसंबर 1963 को मुम्बई में जन्में गोविंदा (Govinda) बचपन में अपने पिता के लिए तरस गए थें। गोविंदा अपने 6 भाई-बहनों में से सबसे छोटें हैं। जब चीची का जन्म होना था उसी वक्त उनकी मां ने साध्वी बनने का निर्णय कर लिया था और वो गोविंदा के पिता से अलग होने लगीं या यूं कहें कि दोनों में दूरियां आनी शुरु हो गईं। इसका दोष गोविंदा को दिया गया और इसकी वजह उनके पिता ने उन्हें कभी गोद में भी नही लिया। परिवार के समझाने और मनाने पर गोविंदा के पिता ने उन्हें स्वीकार किया और परिवार एक बार फिर खुशहाल हो गया।

नौकरी में मिला रिजेक्शन

गोविंदा मुम्बई में ही पले-बढ़ें और पढ़ाई भी उन्होने वही से की। बर्तक कॉलेज से बी.कॉम करने के बाद चीची बेरोज़गार बैठे थे और उस समय होटल ताज में मैनेजर के लिए भर्ती आई थी। गोविंदा बिना समय गवाएं मैनेजर के इंटरव्यू के लिए होटल ताज पहुंच गए लेकिन उनकी किस्मत ने वहां उनका साथ नही दिया। इंग्लिश ना आने के कारण उन्हें वहां रिजेक्ट कर दिया गया और एक बार अभिनेता को निराशा का सामना करना पड़ा।

ऐसे शुरु किया फिल्मी सफर

छोटी सी उम्र से ही फिल्मों में आने का सपना देखने वाले चीची यानि गोविंदा इसके लिए बहुत मेहनत करते थें। मां नही चाहती थी कि उनका दुलारा बेटा फिल्मों में जाए और पिता की तरह सबकुछ बर्बाद कर दें। गोविंदा डांस के लिए दिवाने थें और उस समय वो मिथुन दा के डांस को कॉपी करते थे और उसे रिकॉर्ड कर हर स्टूडियो में बांटते थें। इसके बदौलत ही उन्होने पहली सीढ़ी चढ़ी और उन्हें एक एड फिल्म का कान्ट्रैक्ट मिला। इसके बाद गोविंदा ने महाभारत के लिए ऑडिशन दिया लेकिन उससे पहले ही उन्हें उनकी ज़िन्दगी की पहली फिल्म तन-बदन मिल गई और देखते ही देखते चीची को एक साल में 49 फिल्मों का ऑफर मिल गया।

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मां को देते हैं भगवान का दर्जा

गोविंदा ने अपने शुरुआती ज़िन्दगी में बहुत गरीबी देखी है। जब चीची को साढ़े चार हज़ार रुपए की पहली सैलरी मिली थी तो उन्होने उस पैसे से अपनी मां के लिए साड़ी और मिठाईयां खरीदी थीं। गोविंदा आज भी मां के जन्मदिन पर उनके पैरो को धोकर उस पानी को पीते हैं। इसके अलावा जब वो अपनी पत्नी सुनीता के साथ शादी से पहले डिनर करने गए थे तो शैम्पेन पीने से पहले मां को कॉल करके परमिशन ली थी।

राजकुमार ने ऐसे की थी बेइज़्जती

एक वक्त ऐसा भी आया था जब गोविंदा को सीनियर कलाकर के हाथों बेइज़्जती का सामना करना पड़ा था। गोविंदा और राजकुमार 1989 में जंगबाज में एकसाथ नज़र आए थें। फिल्म के शूट के लिए गोविंदा एक बार नया शर्ट पहनकर सेट पर पहुंचे थें जिसकी तारीफ राजकुमार ने सेट पर कर दी। तारीफ सुनते ही चीची सातवें आसमान पर पहुंच गए और वेनिटी में जाकर शर्ट बदला और आकर तुरंत राजकुमार को भेंट स्वरुप दे दिया। लेकिन बाद में जब देखा तो राजकुमार उस शर्ट के टुकड़े से अपना नाक साफ कर रहे थें। ये देखकर गोविंदा को बहुत दु:ख हुआ ता।

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Ashok Kumar

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