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Opposition Politics : केजरीवाल और केसीआर से कांग्रेस की बढ़ती दूरियां 

 Delhi News in Hindi दिल्ली न्यूज़! कांग्रेस विपक्षी एकता तो चाहती है लेकिन केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और केसीआर को साथ लाना नहीं चाहती। केसीआर से कांग्रेस को तेलंगाना में टकराव है तो केजरीवाल से लगभग हर जगह। जहां -जहां कांग्रेस कमजोर दिखती है ,केजरीवाल वहाँ अपनी पैठ बनाते है। गुजरात के हालिया चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति में केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की भूमिका अब चिन्हित हो गई है। पहले पंजाब में उन्होंने कांग्रेस को साफ़ किया और फिर गोवा में खेल बिगाड़ा। दिल्ली से तो कांग्रेस को निदल ही कर दिया है केजरीवाल ने। अब  केजरीवाल की नजर राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर लगी है। कांग्रेस की परेशानी बढ़ी है। 

इधर देश में विपक्षी एकता की बात चल रही है। कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा अंतिम पड़ाव की तरफ है। पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने 21 दलों को यात्रा के समापन समारोह में बुलाया है लेकिन केजरीवाल और केसीआर को निमंत्रण नहीं भेजा। यह बात और है कि कांग्रेस के इस निमंत्रण में कितनी पार्टियां जाती है और कितने नेता शामिल होते हैं इस पर सबकी निगाह तो है कि लेकिन केजरीवाल(Arvind Kejriwal) और केसीआर के लिए कांग्रेस ने संकेत तो दे ही दिया है कि कांग्रेस की विपक्षी एकता में उनके लिए कोई जगह नहीं।कांग्रेस की दुविधा समझ से परे है।कांग्रेस ने  पिछले शीतकालीन सत्र में दो बार विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई, जिसमें इन दोनों पार्टियों के नेता शामिल हुए। संसद में सरकार को घेरने में इन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस के साथ सहयोग किया। लेकिन कश्मीर के श्रीनगर में 30 जनवरी को यात्रा के समापन कार्यक्रम का न्योता इनको नहीं दिया गया है।

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इससे पहले भी राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही यात्रा जब दिल्ली पहुंचने वाली थी तब सभी विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिख कर बुलाया गया था उसमें भी आप नेता अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी नहीं लिखी गई थी। यह अलग बात है कि कोई भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बुलावे पर उसकी यात्रा मे शामिल नहीं हुई। इसके बाद उत्तर प्रदेश में जब यात्रा पहुंची तो वहां की विपक्षी पार्टियों को न्योता दिया गया लेकिन उनमें से भी कोई नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ। अब तीसरी बार विपक्षी पार्टियों को न्योता दिया गया है।

 कांग्रेस ने कहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने समान विचारधारा वाली पार्टियों को न्योता दिया है। तो सवाल है कि क्या अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति को कांग्रेस समान विचारधारा की पार्टी नहीं मानती है? अगर ये समान विचार वाली पार्टियां नहीं हैं तो संसद में इनके साथ कैसे समन्वय और सहयोग बनता है? एक सवाल यह भी है कि किस आधार पर कांग्रेस इन दोनों को समान विचार वाली पार्टी नहीं मान रही है? केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की तरह राहुल गांधी भी मंदिर मंदिर जाते हैं और उनकी तरह मुफ्त में बिजली, पानी की घोषणा कांग्रेस भी करती है। केजरीवाल और केसीआर दोनों की पार्टी भी भाजपा के खिलाफ बोलते और उससे लड़ते हैं। सो, यह विचारधारा का मामला है।
असलियत यह है कि जहां भी कांग्रेस का अपना हित सीधे किसी पार्टी से टकरा रहा है वह पार्टी कांग्रेस को पसंद नहीं है। जहां पार्टी पहले ही अपने हितों का सरेंडर कर चुकी है वहां की पार्टियों के साथ काम करने में कांग्रेस को दिक्कत नहीं है। आम आदमी पार्टी सीधे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही है।

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