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हिंद महासागर में चीनी घुसपैठियों को रोकेगा INS इंफाल, नौसेना में आज शामिल होगा INS इंफाल

INS Imphal: आज भारतीय नौसेना को बड़ी सौगात मिलने जा रही है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ के बीच भारतीय नौसेना अपनी समुद्री क्षमता को बढ़ावा देने के लिए INS इंफाल को 26 दिसंबर यानी आज कमीशन हो रहा है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे. मुंबई के डॉकयार्ड में कमीशन किया जाएगा. हिंद महासागर में ये युद्धपोत भारतीय नौसेना को किसी भी हवाई हमले से निपटने में मजबूती देगा

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पहली बार उत्तर-पूर्व के किसी राज्य पर रखा गया है युद्धपोत का नाम

देश का यह पहला ऐसा युद्धपोत है जिसका नाम किसी उत्तर-पूर्व के राज्य के नाम पर रखा गया है. भारत की आजादी में मणिपुर के योगदान को देखते हुए उत्तर-पूर्व के नाम रखा गया है. 1891 में एंग्लो मणिपुर वॉर हुआ था. मणिपुर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कई अहम पलों गवाह रहा है. यहां पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1944 में 14 अप्रैल को पहली बार आजाद हिंद फौज का झंडा मणिपुर में ही फहराया था. इसके साथ ही आजादी की लड़ाई से जुड़ी कई महत्वपूर्ण घटनाएं भी मणिपुर में शामिल हैं.

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आईएनएस (INS) इम्फाल की डिजाइन किसने बनाई

इस युद्धपोत को भारत में तैयार किया गया है. इसकी डिजाइन भारतीय नौसेना के इन-हाउस ऑर्गनाइजेशन वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है. इस युद्धपोत पूरा निर्माण डॉक लिमिटेड मझगांव में किया गया है. रक्षा शोध विकास संगठन (DRDO) ने कुछ लघु सूक्ष्म और मध्यम उद्योग एमएसएमई के साथ मिलकर इसे तैयार किया है. भारत का यह तीसरा युद्धपोत है. यह डिस्ट्रॉयर वॉरशिप सतह से सतह पर मार करने वाली 8 बराक, 16 ब्रह्मोस एंटीशिप सेंसर्ड मिसाइल, 76 MM रैपिड माउंट गन, सर्विलांस रडार, एंटी सबमरीन और टॉरपीडो से लैस है. चार दिन पहले ही इस युद्धपोत से ब्रह्मोस मिसाइल को फायर करके टेस्ट किया गया था. यह इस कसौटियों पर खरा उतरा.

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 नवंबर को मणिपुर के मुख्यमंत्री और अन्य कई लोगों की मौजूदगी में नई दिल्ली में जहाज के शिखर का अनावरण किया था. कमीशनिंग के बाद INS इम्फाल भारतीय नौसेना के पश्चिमी कमांड में तैनात किया जाएगा. यह ऐसे आधुनिक सेंसर से लैस है जो रडार को चकमा दे सकता है. वर्ष 2019 में इसको तत्कालीन बनाने की मंजूरी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी थी. इसका पहला समुद्री परीक्षा इस साल 28 अप्रैल को किया गया था. इसको बनाने में महज दो साल लगे. मई 2017 में इसको तैयार करने के लिए काम शुरू किया गया था और दो सालों में इसको बनाकर तैयार कर दिया गया. समुद्र में साल 2019 में इसे उतार दिया गया था.

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INS इम्फाल इन सभी तकनीकों से लैस है

स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें- मध्यम दूरी पर हवाई खतरों से निपटने में सक्षम.
टॉरपीडो ट्यूब- टॉरपीडो लॉन्च करने और पनडुब्बियों के हमले रोकने वाला हथियार.
फोल्डेबल में हैंगर दरवाजे- ये ऐसे दरवाजे है जिन्हें मोड़ा जा सकता है जिनमें हेलीकॉप्टर भी रखे जा सकते हैं.
सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें- समुद्र से सतह के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम.
सुपर रैपिड गन माउंट- रक्षा और युद्ध के दौरान रैपिड-फायर गन माउंट मुकाबल करने में मददगार होगा.
ऑटोमैटिक इलेक्ट्रिसिटी मैनेजमेंट सिस्टम- जहाज पर बिजली उपलब्ध करवाने में मददगार.
इंटिग्रेटेड प्लेफॉर्म मैनजमेंट सिस्टम- शिपबोर्ड सिस्टम और इसके कार्यों की देखरेख में मददगार.
क्लोज़-इन हथियार सिस्टम- आत्मरक्षा के लिए एक कम दूरी तक मार करने वाले हथियार.
पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर- पानी के नीचे के टार्गेट को निशाना बनाने के लिए पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर का इस्तेमाल होता है.
हेलो ट्रैवर्सिंग प्रणाली- हेलीकॉप्टर की आवाजाही और भंडारण की सुविधा मुहैया कराने वाली प्रणाली.
बो माउंटेड सोनार-पानी के भीतर पनडुब्बियों का पता लगाने में मददगार.
युद्ध प्रबंधन प्रणाली- युद्ध संचालन के कोर्डिनेशन व मैनेजमेंट से जुड़ी तकनीक है.

Rohit Mishra

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