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जानिए दुनिया की सबसे बड़ी सेना और नेवी की कॉन्फ्रेंस में भारत ने क्या कहा?

Army and Navy Conference: दुनिया की सबसे बड़ी नेवी और सेना की कॉन्फ्रेंस दिल्ली में चल रही है। यह दुनिया का ऐसा कॉन्फ्रेंस है जाे लगातार दो दिनाें तक चलेगी । इस कांफ्रेंस में दुनिया के 22 देशों के सेना प्रमुखों ने हिस्सा लिया है । भारतीय सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा है कि सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता जरूरी है और इसका सम्मान सभी देशों को करना चाहिए। सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि प्रशांत क्षेत्र में कुछ चुनौतियां हैं लेकिन हम शांति से ही समाधान चाहते है और यही सबसे कारगर रास्ता है ।

Army and Navy conference

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नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित इंडो पैसिफिक आर्मी प्रमुखों को संबोधित करते हुए भारतीय सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा कि भारत शांति के साथ ही हर मसले का हल चाहता है । बल प्रयोग से बचने और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन पर जोर देते हैं ।

सेना और नेवी की यह दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्फ्रेंस है । 25 सितंबर से 27 सितंबर तक चलने वाले इस कांफ्रेंस में करीब 22 देशों के सेना प्रमुख हिस्सा लें रहे हैं । बता दें कि इंडो पैसेफिक रीजन में हमेशा ही चीन अपना एकाधिकार जमाता रहा है । सेना प्रमुख पांडे ने कहा कि हम किसी भी तरह के विवाद का हल शांति से चाहते हैं । इसके लिए सभी देशों के बीच बातचीत होने चाहिए । लड़ाई से इसका समाधान नहीं हो सकता।

Army and Navy conference

अमेरिका के सेना प्रमुख जनरल रैंडी जॉर्ज ने कहा है कि दुनिया में युद्ध का तरीका अब बदल रहा है । कॉन्फ्रेंस में शामिल देशों के बीच सैन्य समेत हर स्तर पर सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। हमारी एकता प्रतिबद्धता से संबंध और भी गहरे होते जायेंगे । भारतीय सेना प्रमुख ने कहा कि हम इतने प्रयासों के बावजूद इंटरस्टेट डिस्प्यूट और देशों के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ देख रहे हैं । वे सीमाओं से परे है और उनके प्रति हमारी प्रतिक्रिया को इसमें शामिल किया जाना चाहिए ।

इस सम्मेलन को रक्षा मंत्री राजनाथ ने भी संबोधित किया । उन्होंने कहा कि नेबारहूड फर्स्ट प्राचीनकाल से ही हमारी संस्कृति का हिस्सा है । यह हमारी आधारशिला भी है । भारत का दृष्टिकोण इस क्षेत्र को इसकी एक्ट ईस्ट पॉलिसी द्वारा परिभाषित किया गया है ।

कनाडा के उप सेना प्रमुख मेजर जनरल पीटर स्कॉट ने ट्रुडो के बयान पर भी बात की । उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री ट्रुडो के बयान से अवगत हूं । सरकार का रुख भारत के साथ जांच करने और सहयोग करने का अनुरोध है लेकिन वास्तव में यहां इस सम्मेलन में इस मुद्दे का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है । सही मायने में हम सेना से लेकर सेना तक संबंध बनाने के लिए हम यहां मौजूद हैं । अपनी-अपनी सरकारों को इस मुद्दे पर खुद निपटने देंगे।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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