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मणिपुर हिंसा: असम राइफल्स को लेकर कुकी और मैतेई विधायक आमने-सामने, सरकार की बढ़ी मुसीबत!

Manipur Violence: केंद्र सरकार परेशान है। मणिपुर जल रहा है। मणिपुर (manipur violence) को लेकर संसद में हंगामा भी हुआ। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव भी लाया। प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण भी दिया। कई तरह के आश्वासन भी मिले लेकिन मणिपुर का सच यही है कि वहां आज भी हिंसा जारी है। अब तो हालत ऐसे हो गए है कि मैतेई और कुकी समाज के लोग न सिर्फ एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं बल्कि असम राइफल्स को लेकर भी दोनों वर्ग ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर उसकी चिंता को और भी बढ़ा दिया है।

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असम राइफल्स गृह मंत्रालय के अधीन अर्द्धसैनक बल है। जब 3 मई को मणिपुर में हिंसा (manipur violence) की शुरुआत हुई तब उसके थीम दो दिन बाद बड़ी संख्या में असम राइफल्स की तैनाती मणिपुर में की गई। मकसद यही था कि यह सेना किसी भी सूरत में हिंसा को रोक लेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। हिंसा बढ़ती ही गई और बाद में खूनी खेल भी शुरू हो गया। अब असम राइफल्स को लेकर ही कुकी और मैतेई समाज में दुश्मनी बढ़ती जा रही है। कुकी समाज के लोग असम राइफल्स का समर्थन कर रहे हैं और उसे तैनात किये जाने की मांग कर रहे हैं जबकि मैतेई समाज के लोग इस अर्ध सैनिक बल का विरोध कर रहे हैं।

दोनों समुदाय के लोगों ने अब केंद्र सरकार को पत्र भेजा है, कुकी समुदाय के दस विधायकों ने जहां असम राइफल्स की बहाली रखे जाने की मांग की है जबकि मैतेई समुदाय के 40 विधायकों ने असम राइफल्स को मणिपुर से की मांग की है। विधायकों के साथ ही मणिपुर की बीजेपी इकाई भी असम राइफल्स को तुरंत हटाने की मांग की है। अब ऐसे में असम राइफल्स दो गुटों की लड़ाई में बुरी तरह से फंस गई है और बदनाम भी हो रहा है।

मैतेई समुदाय के 40 विधायकों ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि असम राइफल्स को उसके वर्तमान तैनाती स्थान से ट्रांसफर करने की जरुरत है। राज्य में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए उनकी जगह पर दूसरे अर्धसैनिक बल जगह ले सकते हैं। विधायकों ने यह भी कहा है कि शांति के लिए तैनात सुरक्षा बालों की संख्या काफी कम है और पहाड़ी क्षेत्रों में हिंसा को रोकने के लिए पूर्ण निरस्त्रीकरण जरुरी है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि पिछले तीन महीने में बड़े पैमाने पर मणिपुर में घुसपैठ हुए हैं इसके साथ ही हथियार और गोल बारूद भी मणिपुर में पहुंचे हैं। इन विद्रोही समूहों को रोकने के लिए अर्धसैनिक बलों की जरूरत है।

उधर कुकी विधायकों ने जो पत्र लिखा है उसमें कहा गया है कि असम राइफल्स यहां सालों से काम कर रही है और मणिपुर के हिंसा ग्रस्त इलाके में बिना पूर्वाग्रह के यह बखूबी अंजाम दे रही है। इसलिए सभी जनजाति समूह के लोग और विधायक यह चाहते हैं कि असम राइफल्स को मणिपुर से नहीं हटाया जाए। इससे आदिवासियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
ऐसे में सरकार परेशान है। अब उसे क्या कुछ करना है इस पर बैठक भी चल रही है। सरकार भी चाहती है कि मणिपुर में शांति हो लेकिन दो समुदायों की राजनीति अब केंद्र सरकार पर भारी पड़ती दिख रही है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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