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UP Politics: मायावी राजनीति में ठाकरे और राजभर की नयी दोस्ती के नए संकेत

महाराष्ट्र में महाविकास अघारी की नयी राजनीति पहले से चल रही है। इसमें कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना शामिल है। जातीय और माहौल के हिसाब से यह बड़ा गठबंधन है और कहा जाता है कि अगर यह गठबंधन मजबूती से लाडे तो महाराष्ट्र में बड़ा उलट फेर हो सकता है। बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है।

कहते हैं कि राजनीति में सब जायज है। यह भी कहा जाता है कि सियासत में कोई किसी का दोस्त या दुश्मन नहीं होता। समय के साथ सबकुछ बदलता है और जब सबके लाभ की बात होती है तो दुश्मन भी एक हो जाते हैं। गलबहियां करते दीखते हैं। राजनीति का यह खेल काफी मनोरंजक होता है। लुभाता है और भरमाता भी है। मुंबई में पिछले दिनों ठाकरे और राजभर की मुलाकात को आप इसी सन्दर्भ में ले सकते हैं।

इधर कई नयी राजनीति सामने दिखी। महारष्ट्र में पहले शिवसैन के साथ प्रकाश आंबेडकर की मुलाकात हुई और फिर गठबंधन भी। प्रकाश आंबेडकर बाबा साहब आंबेडकर के प्रपौत्र हैं और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में उनकी राजनीतिक पकड़ भी है। जातीय राजनीति के साथ ही युवाओं की राजनीति। उनके साथ बड़ी संख्या में वे युवा जुड़े हैं जो संविधान पर यकीन करते हैं और सेक्युलर समाज की कल्पना करते हैं।

महाराष्ट्र में महाविकास अघारी की नयी राजनीति पहले से चल रही है। इसमें कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना शामिल है। जातीय और माहौल के हिसाब से यह बड़ा गठबंधन है और कहा जाता है कि अगर यह गठबंधन मजबूती से लाडे तो महाराष्ट्र में बड़ा उलट फेर हो सकता है। बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है। लेकिन इस बड़े गठबंधन से इतर जाकर उद्धव ठाकरे ने प्रकाश आंबेडकर के साथ मेल मिलाप किया और गठबंधन भी किया। इसका आगे क्या होगा ,कोई नहीं जानता। लेकिन जानकार मान रहे हैं कि इस नए गठबंधन से शिवसेना को बीएमसी चुनाव में बड़ा लाभ हो सकता है। ऐसा संभव भी है। बीजेपी इस बार हर हाल में बीएमसी पर कब्जा करने को उतारू है लेकिन कुछ हाथ उसे नहीं लग रहा है।

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बीजेपी को उम्मीद है कि शिंदे गुट कोई बाद परिवर्तन कर सकता है लेकिन जिस तरह से उद्धव शिवसेना के साथ शिव सैनिक खड़े है ,बीजेपी की राह आसान नहीं दिख रही है। बीजेपी अभी भी चाहती है कि कांग्रेस ,एनसीपी और शिवसेना में टूट हो और इसका लाभ मिले लेकिन खेल रहा। आगे क्या होगा इस पर सबकी निगाहें टिकी है। इधर शिवसेना की एक और नयी राजनीति सामने दिख रही है। पिछले दिनों शिवसेन प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ यूपी वाले ओम प्रकाश राजभर की बैठक मुंबई में हुई ,बड़ा दिलचस्प मामला सामने आया। घंटो तक दोनों नेता मिले और जब राजभर बाहर निकले तो उन्होंने शिवसेना के साथ गठबंधन की बात की। कई और बातो की चर्चा की।

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कहा जा रहा है कि यूपी में शिवसेना कर राजभर की पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेगी। एक सवाल के जबाब में राजभर ने कहा है कि यूपी में शिवसेना की जमीं नहीं है लेकिन राम आंदोलन में उसकी बड़ी भूमिका रही है। यूपी में उसकी पहचान जरूर है। हम साथ लड़ेंगे और खेल अद्भुत होगा। लेकिन जानकार मान रहे हैं की शिवसेना ने राजभर का स्था इसलिए लिया है कि बीएमसी चुनाव में इसका लाभ मिल सके। मुंबई बीएमसी में बड़ी संख्या में यूपी के लोग हैं और उनका वोट बैंक भी काफी है। शिवसेना को लग रहा है कि बीएमसी चुनाव में राजभर थोड़ा भी असर डालते हैं तो शिवसेना मजबूत होगी और बीजेपी के खेल को बिगाड़ा जा सकता है। यह संभव भी है। राजभर ने सपा पर भी निशाना साधा है। मानस विवाद पर मौर्या को आड़े हाथ भी लिया लेकिन यह भी कहा कि मानस में कई बाते गलत दर्ज है उसे हटने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी चुनाव में सपा की राजनीति ज्यादा कारगर नाह होगी। अगली राजनीति हमारे गठबंधन की होगी और हम सफल होंगे /राजभर का यह बयान यूपी में नयी राजनीति को आगे बढ़ाने वाली मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि अगर शिवसेना तैयारी के साथ हिंदुत्व वोट पर हमला करती है तो बीजेपी को नुक्सान हो सकता है। आगे क्या कुछ होता है इसे परखने की जरूरत है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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