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20 साल पुराने मुद्दे का निकल गया हल, जानिए कैसे?

ERPC News rajsthan-madhyapradesh:कहा जाता है  कि केंद्र और राज्य में अगर एक ही पार्टी की सरकार हो तो जनता की उम्मीदें दोगुनी हो जाती हैं और सरकारें अगर सामंजस्य बनाकर चलें तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। कुछ ऐसा ही हुआ है राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकारों के बीच भी, जहां पिछले 20 सालों से चला आ रहा पानी के बंटवारे का विवाद सुलझा लिया गया। लंबे समय से चली आ रही खींचतान आखिर अब खत्म हो गई।

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साल 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा दांव खेला है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पिछले 20 साल से पानी के बंटवारे का विवाद आखिरकार सुलझा लिया गया। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पानी के बंटवारे को लेकर समझौता हो गया है। दोनों राज्यों के बीच MOU साइन हुआ है जिसके बाद विवाद थम गया है। ईआरसीपी का मुद्दा सुलझने से कांग्रेस का एक बड़ा मुद्दा भी खत्म हो गया।

इस मुद्दे पर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच हुए एमओयू के बाद कांग्रेस में सन्नाटा है। जिस मुद्दे को पिछले 5 साल से कांग्रेस भुना रही थी। वह मुद्दा एक ही झटके में खत्म हो गया। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने ईआरसीपी को लेकर केंद्र सरकार और बीजेपी को आड़े हाथों लिया था। इसके बावजूद भी कांग्रेस राजस्थान की सत्ता पर कायम नहीं रह सकी। अब लोकसभा चुनाव में भी ईआरसीपी मुद्दे को भुनाना था लेकिन बीजेपी शासित दोनों राज्यों ने मिलकर इस मुद्दे पर एमओयू कर लिया। रविवार शाम को राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच जल बंटवारे को लेकर समझौता हुआ था। समझौते के 12 घंटे बाद तक पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की प्रतिक्रिया तक नहीं आई। इन दोनों बड़े नेताओं को कुछ सूझ ही नहीं रहा कि अब कैसे कोसें।

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ईआरसीपी मुद्दे को लेकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच पानी के बंटवारे को लेकर हुए समझौते के बाद सिर्फ नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का बयान आया है। जूली ने ट्वीट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर ईआरसीपी के मुद्दे को लटकाए रखा। अब लोकसभा चुनाव सामने है तो चुनाव फायदे के लिए बीजेपी ने यह कदम उठाया है। जूली ने यह कहते हुए बीजेपी को कोसा कि राजस्थान के सभी 25 लोकसभा सांसद राजस्थान से हैं और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री भी राजस्थान से है। इसके बावजूद ईआरसीपी को कई सालों तक बेवजह अटकाए रखा। जूली ने यह भी कहा कि आगामी दिनों में होने वाले लोकसभा चुनाव में जनता इसका हिसाब मांगेगी।

इस मौके पर सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा ईआरसीपी के तहत पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक में पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त, राज्य के 2 लाख 80 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।13 जिलों के लगभग 25 लाख किसान परिवारों को सिंचाई जल एवं राज्य की लगभग 40 प्रतिशत आबादी को पेयजल उपलब्ध हो सकेगा।

ईआरसीपी का प्रोजेक्ट वसुंधरा राजे के कार्यकाल में बना था जिसके तहत राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई की समस्या को हल करना था। प्रोजेक्ट पर समय पर कार्य शुरू नहीं हुआ तो कांग्रेस ने इसे चुनाव मुद्दा बना लिया। पिछले 5 साल तक कांग्रेस ने ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर बीजेपी शासित केंद्र सरकार को जमकर घेरा। बीजेपी शासित मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच ईआरसीपी को लेकर समझौता हो गया है। अब इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम होगा तो दोनों राज्यों के 26 जिलों की तकदीर बदल जाएगी। इन जिलों में पीने के पानी और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल जाएगा।

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