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नेता जी के लिए भारत रत्न की मांग SP की राजनीति का अगला चरण हो सकता है!

राजनीति का कोई चरित्र नहीं होता। इसके रंग बदलते रहते हैं। समय के मुताबिक इसके चाल भी बदलते हैं और मुद्दे भी। राजनीति में कोई स्थाई मुद्दे नहीं होते। जो मुद्दे जनता को लुभाये ,गुदगुदाए और वोट लाये वही मुद्दे राजनीति के लिए कारगर होते हैं। बाकी मुद्दों की कहानी खानापूर्ति से ज्यादा कुछ भी नहीं।

मोदी सरकार की तरफ से सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को पद्म विभूषण (Padma Vibhushan) दिया गया। यह अलंकार अपने आप में भी बड़ा है। हालांकि इस देश में अलंकारों की भी अपनी राजनीति रही है लेकिन कुछ व्यक्ति ऐसे भी रहे हैं जिनका कद अलंकारों ,पुरस्कारों से भी बड़ा रहा है। मुलायम सिंह को आप ऐसे ही महान व्यक्तित्व के रूप में देख सकते हैं। मुलायम सिंह केवल सपा के संस्थापक ही नहीं थे। उन्होंने जिस मेहनत और लगन के साथ समाज के पिछड़े तपको और वंचित जमात को इकठ्ठा कर एक अलग तरह की राजनीति और सामाजिक आंदोलन की शुरुआत की थी ,भारतीय राजनीति में ऐसे बहुत कम लोग ही मिलते हैं। इसलिए मुलायम सिंह किसी भी पुरस्कार से परे हैं। वे जनता के नेता रहे तभी तो नेता जी के नाम से जाने गए। जनता द्वारा दिया गया यह पुरस्कार भला किसे मिलता पाता है ?

2024 के लिये यादव वोट बैंक पर नजर

लेकिन सपा (SP) को अब नेता जी को मिले पुरस्कार पर आपत्ति है ,आपत्ति इस बात पर है कि नेता जी का कद काफी ऊंचा है इसलिए उन्हें भारत रत्न की उपाधि दी जानी चाहिए। संभव है कि केंद्र सरकार द्वारा आगे इस मसले पर कोई और निर्णय भी हो लेकिन अभी तो यह पुरे यूपी में प्रचारित हो ही रहा है कि आखिर नेता जी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला ? मोदी सरकार पर कई और तरह के आरोप लगाए जायेंगे इस मांग को लेकर।

मुलायम सिंह की फाइल फोटो

असली लड़ाई सपा और बीजेपी के बीच आई !

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अभी सपा प्रमुख हैं और उनके चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) अब अखिलेश के साथ कदम बढ़ा रहे हैं। जबतक मुलायम सिंह जिन्दा थे तब तक शिवपाल और अखिलेश की नहीं बन रही थी लेकिन भाई के जाते ही शिवपाल ने अखिलेश का साथ दिया और अब आगे की राजनीति में शिवपाल की भूमिका अहम् होगी। शिवपाल की बड़ी मंशा है। वे चाहते हैं कि सूबे की राजनीति बदले और केंद्र की राजनीति में भी बदलाव आये। आगामी लोकसभा चुनाव में सपा की भूमिका बड़ी होगी ,यह सब कोई जनता है। यूपी में 80 लोकसभ सीटें हैं और इस बार अखिलेश की अगुवाई वाली  सपा बहुत कुछ करने की तैयारी कर रही है। अखिलेश के जो बयान सामने आ रहे हैं उससे तो साफ़ लगता है कि लोकसभ चुनाव में असली लड़ाई सपा और बीजेपी के बीच होनी है और विपक्ष वाकई इस पर राजी हो गई तो लड़ाई रोचक होगी ,चाहे परिणाम कुछ भी निकले।

यादव बिरादरी को जोड़ने का नया पैंतरा !

अभी जो मुलायम सिंह को लेकर अखिलेश ,डिम्पल यादव और शिवपाल के जो बयान आये हैं वे कोई मामूली बात नहीं है। तीनो ने एक स्वर से नेता जी के लिए भारत रत्न की मांग की है। इन तीनो की आवाज सूबे के लोगों तक पहुँच गई है और सपा के लोग अब यह मान गए हैं कि नेता जी के साथ इस सरकार ने ठीक फैसला नहीं किया। अब भारत रत्न की मांग जारी रहेगी और यही मांग सपा की अगली राजनीति को आगे बढ़ाएगी। इस लड़ाई में सपा के लोग तो शामिल होंगे ही सपा के सहयोगी भी शामिल होंगे और विपक्ष के साथी भी।बीजेपी की नजर इस पर है। बीजेपी को भी लग रहा है कि यूपी में अगली लड़ाई साधारण नहीं होने वाली। सपा की राजनीति बड़ी होगी और उसकी लड़ाई सपा के साथ ही बसपा और अन्य दलों से भी होनी है। बीजेपी को यह भी लग रहा है कि धर्म की राजनीति ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकती है क्योंकि देश की जनता बहुत कुछ समझ रही है। ऐसे में सपा की मांग भारत रत्न को लेकर आगे बढ़ती है तो बीजेपी के वोट पर भी असर पडेगा क्योंकि बीजेपी के यादव वोट में भी नेता जी के लिए भारत रत्न की मांग की बात उठने लगी है। यह कोई मामूली बात नहीं। उधर शिवपाल यादव अब पूरी ताकत के साथ इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। इसी में सपा की राजनीति भी छुपी है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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