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Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में ऐतिहासिक चर्च की अनसुनी दास्तां..

चर्च को बनवाने का काम पादुवा के रहने वाले एक इटालियन एंथोनी को सोपा गया था. लतीफ अली खां की दो बेटियां थी एक बेगम समरू और दुसरी बेटी फरजाना थी भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के यहां सेनापति समरू थे। समरू ने मुसलमानी रस्मों के अनुसार फरजाना से शादी की थी.

उत्तर प्रदेश के सरधना कस्बे में स्थित ऐतिहासिक चर्च देश ही नहीं दुनिया में भी प्रसिद्ध है सरधना (Sardhana) के ऐतिहासिक चर्च के बारे में मौजूद दस्तावेजों के अनुसार इस चर्च के निर्माण का कार्य वर्ष 1809 में शुरू हुआ था  इसके खास दरवाजे पर इस इमारत के बनने का साल 1822 दशार्या गया है जबकि कुछ अभिलेखों में इसके निर्माण का वर्ष 1820 बताया गया है  इसके निर्माण की कीमत करीब चार लाख रुपए बताई गई है. भले ही आज के वक्त में यह कीमत कुछ न हो लेकिन उस वक्त यह रकम आज के करोड़ों रुपये के बराबर है  उस वक्त सबसे ऊंची मजदूरी करने वाले मिस्त्री को 25 पैसे दिए जाते थे. सरधना चर्च के निर्माण करने वाले मिस्त्री को भी 25 पैसे मजदूरी दी जाती थी जबकि अन्य मजदूरों का हिसाब कौडियों से किया जाता था .कहा जाता है कि उस समय इस चर्च की खुदाई से जो मिट्टी निकली थी उससे दो झील बन गई थी

चर्च को बनवाने का काम पादुवा के रहने वाले एक इटालियन एंथोनी को सोपा गया था. लतीफ अली खां की दो बेटियां थी एक बेगम समरू और दुसरी बेटी फरजाना थी भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के यहां सेनापति समरू थे। समरू ने मुसलमानी रस्मों के अनुसार फरजाना से शादी की थी. समरू की मौत के बाद फरजाना बेगम साहिबां ने ही उनकी गद्दी संभालने की लंबी व शानदार हुकूमत की शुरूआत  वर्ष 1778 मे की थी . बेगम समरू लड़ने में बरताव और निडर में ऊंची थी. बेगम समरु दुश्मनों के लिए कयामत और दोस्तों के लिए रहम दिल थी.  बेगम ने अपने शौहर के मरने के तीन साल बाद ईसाई धर्म को अपनाकर अपना नाम योहन्ना रख लिया था.

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मूर्ति करती हैं श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित

सरधना स्थित बेगम समरू के चर्च को बेहद ही खूबसूरत बनाया गया है. सरधना  चर्च की दीवारों पर सुंदर कारीगरी की गई है. चर्च के बराबर में ही बेगम समरू का महल बना है जिसमें वह रहती थी.  इस महल में भी नक्काशी और कारीगरी का बेजोड़ नमूना बनाया गया है. सरधना स्थित बेगम समरू के चर्च में लगी जीसस की मूर्ति श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती हैं.  चर्च कृपाओं की माता मरियम का तीर्थ स्थान बन गया है बेगम समरू ने इस चर्च का निर्माण कराते हुए कभी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनका बनाया हुआ यह सरधना स्थित चर्च एक तीर्थ स्थान के रूप से पहचाना जायेगा. बेगम समरू की ऐतिहासिक नगरी सरधना के चर्च में लगी कृपाओं की माता मरियम की चमत्कारी तस्वीर फरियादियों की मुराद पूरी करती हैं  बताया जाता है चर्च मे स्थित माता मरियम की चमत्कारी मुर्ति के सामने खड़े होकर यदि सच्चे मन से प्रार्थना की जाए तो वह जरूरी पूरी होती है. माता मरियम की इस चमत्कारी तस्वीर के दर्शन करने और मन्नत मांगने हर साल नवंबर के दूसरे रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है  इस दिन देशभर से श्रद्धालु पहुंच कर माता मरियम के दर्शन कर आशीर्वाद लेते है ऐसी माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर माता मरियम अपनी पूरी कृपा बरसाती हैं.

चर्च में होता है चमत्कार

सरधना चर्च में मौजूद चमत्कारी तस्वीर के कारण ही वर्ष 1961 में संत पोप द्वारा चर्च को छोटी बसिलिका का खिताब दिया गया था  इसी चमत्कारी तस्वीर के कारण हर वर्ष इस चर्च में विशेष प्रार्थना और मेले की परंपरा शुरू हुई थी  माता मरियम की चर्च में लगी तस्वीर के बारे में मान्यता है कि जिस दिन यह तस्वीर चर्च में स्थापित की गई उसी दिन एक महिला अपने बीमार बेटे लेकर यहां पहुंची थी. डॉक्टरों ने उसके बेटे को ठीक करने में जवाब दे दिया था  कहा जाता है कि इस महिला ने अपने बीमार बेटे को सरधना चर्च में लायी गई माता मरियम की तस्वीर से छुआ कर उसके ठीक होने की दुआ मांगी थी  तभी एक चमत्कार हुआ और उस महिला का बीमार बेटा कुछ ही समय में ठीक हो गया था.

Prachi Chaudhary

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