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ब्रिटेन के पूर्व पीएम जॉनसन ने दिया सांसदी से इस्तीफा ,क्या भारत कोई सीख लेगा ?

UK Political Crisis: राजनीति में शुचिता और ईमानदारी कहाँ है ? डंके की चोट पर कोई भी राजनेता नहीं कह सकता वह ईमानदार है और नैतिक भी। आडम्बर और झूठ पर टिकी राजनीति दौड़ती है और सफल भी होती है। लेकिन जब झूठ का भांडा फूटता है तो लोग मुँह दिखाने के लायक भी नहीं नहीं रहते। लेकिन चुकी राजनीति निर्लज्ज भी होती है इसलिए नेता कभी इसे अस्वीकार भी नहीं करते। मौजूदा समय में राजनीति इसी ढर्रे पर चलती है और सफल भी होती है।


भारत में अडानी का मामला आया। विपक्ष जेपीसी से जांच की मांग की ,सरकार ने कुछ नहीं माना। विपक्ष ढेर हो गया। इसी देश में पहलवान महिलाओं ने बीजेपी के संसद पर ऑन शोषण का आरोप लगाया है। उसे दंडित करने की मांग की जा रही है लेकिन सरकार कहाँ सुन रही है ! ऐसे ढेरों कहानियां इस देश में मौजूद है। लेकिन उधर जिस देश के संविधान को भारत के संविधान में भी दर्ज किया गया उस देश का पूर्व प्रधानमंत्री ने संसदीय जांच शुरू होने की बात पर ही इस्तीफा दे दिया है। यह कहानी है ब्रिटेन की। ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मंत्री और सांसद ने शुक्रवार को अचानक पाने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। जॉनसन ने कहा कि उन पर इल्जाम है कि उन्होंने संसद को कोविड 19 के दौरान हॉउस ऑफ़ कॉमन को गुमराह किया था और संसदीय समिति इसकी जांच कर रही है। उन्हें दण्डित करने की जाने की सूचना मिलने के बाद इस्तीफा देना जरुरी है। और हम ऐसा ही कर रहे हैं।


ब्रिटेन में घटी इस घटना के बाद सब चौंक गए हैं। परिणाम क्या होगा इसे तो देखना बाकी है लेकिन कमोबेस जॉनसन एक शुचिता का परिचय जरूर दिया है।

जॉनसन पर आरोप है कि उन्होंने महामारी के दौरान संसद को गुमराह किया था। झूटी बाते कही थी। फिर उसकी जांच संसदीय समिति से शुरू की गई। कहा जा रहा है कि उन्हें संसद से बाहर निकलने की तैयारी चल रही है। यह भी बता दें कि जॉनसन पर कई तरह के घोटाले आरोप लगे थे। इसके बाद उन्होंने 2022 में पीएम के पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन वे सांसद बने रहे।

शुक्रवार को जॉनसन को जांच रिपोर्ट मिलने की जानकारी मिली थी। रिपोर्ट में कहा गया कि जॉनसन ने संसद को गुमराह किया है। हालांकि जॉनसन की बार कह चुके थे कि यह सब जानबूझकर नहीं किया गया था यह एक त्रुटि हो सकती है। लेकिन कानून तो कौन है। चाहे नेता कितना बड़ा ही क्यों न हो। जॉनसन ने कहा है कि कोविड लॉक डाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में हुई पार्टियों में लॉक डाउन नियमो के उलंघन की बात सही नहीं है। उन्होंने कहा कि वे जरुरी कार्यक्रम थे इसलिए इसकी अनुमति दी गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के दौरान सभी दिशा निर्देशों का पालन किया गया था।

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सांसद पद से इस्तीफा देते हुए जॉनसन ने कहा कि मैंने कोई झूठ नहीं बोला। और मुझे विश्वास है कि समिति भी इसे जानती है। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि मैंने कॉमन्स में बात की थी वही आज भी कह रहा हूँ। मई ईमानदारी से सच मानता हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा पीएम ऋषि सुनक जो डाउनिंग स्ट्रीट में रहते हैं ,उनका भी मानना है कि वे क़ानूनी रूप से एक साथ काम कर रहे थे। जॉनसन ने कंगारू कोर्ट की तर्ज पर काम करने के लिए समिति की निंदा भी की और दावा किया कि समिति का शुरू से ही उदेश्य और तथ्यों की परवाह किये बिना उसे दोषी ठहराना है। उन्होंने यह भी कहा वे अभी जा रहे हैं। लेकिन चुनाव में वे फिर वापस लौटेंगे और चुनाव भी लड़ेंगे। बता दें कि ब्रिटेन में अगले साल ही चुनाव होने हैं।

जॉनसन गलत है या नहीं लेकिन ब्रिटेन की समिति ने कानून के मुताबिक इसकी जांच की है। हो सकता है कि जांच की दिशा गलत तरीके से की गई हो। जॉनसन मौजूदा सरकार के ही सांसद हैं। लेकिन उन पर जांच की गई। लेकिन भारत में ऐसा संभव है ?

Akhilesh Akhil

Political Editor

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