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बड़ी रोचक है ज्ञानवापी सर्वे में मिल रहे हिन्दुओं से जुड़े अवशेष की कथा !

Gyanvapi Servey: काशी विश्वनाथ और फिर हर हर महादेव। देश की आस्था का केंद्र। भगवान भूतनाथ को कौन नहीं जानता ! वे तो सबके हैं और सब उनका ही तो है। जब सृष्टि नहीं थी तब भी वे थे और जब सृष्टि है तब भी उनके नाम की माला ही जपी जाती है। वे आदि हैं आउट अनंत भी। वे हैं भी और नहीं भी। जो है वही है और जो नहीं हैं वे भी वही है। वे सदाशिव है और विनाशक भी। उसी शिव की स्थली काशी के एक परिसर ज्ञानवापी का सर्वे किया जा रहा है। जब सब कुछ काशी का ही है तो वह ज्ञानवापी भी उन्ही का है। अगर नहीं है तो किसी का कुछ नहीं। वे सबको देते ही है लेते किसी से नहीं। वे जो देवो के देव जो हैं। महादेव कहलाकर भी मौन ही रहते हैं। विल्कुल विरक्त !

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हिन्दू और मुसलमानो में झगड़ा चल रहा है। ज्ञानवापी को लेकर। सबके अपने दावे हैं। सबकी अपनी कट्टरता है। मूर्खता भी कह सकते हैं। लेकिन एक बात सच है कि सब काशी का ही है। कौन चीज किसका है यह भला कौन तय कर सकता है। महादेव ने तो सब को कुछ दिया ही है। वे देवो को भी देते रहे हैं और दानवों को भी उसी भाव से देते हैं। वे मनुष्य को भी देते हैं और संसार के हर प्राणी को भी। उन्ही के दिए पर अब बवाल मचा हुआ है।
इंसान बंटवारे में ज्यादा यकीं रखता है। लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि जब सब कुछ उसी परमात्मा का है तब बंटवारा किसका ? तो ज्ञानवापी का सर्वे जारी है। दो दिन हो गए। आज तहखाने का भी सर्वे हुआ है। कहते हैं कि कई ऐसी चीजे मिल रही है जो हिन्दू संस्कृति के प्रतिक हैं। देवी देवताओं से जुड़े हुए हैं। हिन्दुओं में हलचल हैं। कई लोग कह रहे हैं कि यह परिसर ही हिन्दुओं का है। कहने वाले तो और भी बहुत कुछ कह रहे हैं।

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सर्वे में क्या कुछ मिला है इसकी पूरी जानकारी तो किसी को नहीं है लेकिन हिन्दू पक्ष से जुड़े एक वकील ने जो बाते कही है उसके मुताबिक़ सर्वे के दौरान कलश ,स्वस्तिक ,घंटियां ,कई मूर्तियों के अवशेष और हाथी की आकृतियां मिली है। इन अवशेषों से पता चलता है कि ये सभी चीजें हिन्दुओं से जुडी है। हिन्दुओं के वकील सुधीर त्रिपाठी ने मीडिया को बतया है कि जो चीजे मिली हैं वे हमारे दावे के अनुकूल है। नंदी के ठीक सामने और वजूखाने के सामने व्यास जी का तहखाना है। अभी टीम वहां नहीं पहुंची है। हालांकि सर्वे में बहुत कुछ मिल रहा है और उनकी जांच भी हो रही है। त्रिपाठी कह रहे हैं मुस्लिम पक्ष भी काफी सहयोग कर रहे हैं। इन सभी चीजों को एक रजिस्टर में दर्ज भी किया जा रहा है। ब्रश से दीवारों को भी साफ़ किया जा रहा है। सीवरों पर कई मूर्तियां बनी हुई है। सर्वे के पूरा होते ही सभी रिपोर्ट अदालत में जाएगी। अदालत को यह सब फैसला करना है कि ज्ञानवापी परिसर का असली हकदार कौन है ? लेकिन एक बात सच यही है कि हकदार चाहे जो भी हो सब काशी का ही है। काशी आबाद रहे यह सबकी चाहत है। सदाशिव भोले नाथ जरूर कोई चमत्कार करेंगे जिससे दोनों पक्षों को शांत मिलेगी और फिर सब सद्भाव के साथ काशी की जयकार करेंगे।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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