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Weekly Fast and Festivals 2023: जानें अक्टूबर के आखिरी हफ्ते के प्रमुख व्रत पर्व!

Hindu Vrat Calendar 2023! अक्टूबर महीने का यह सप्ताह व्रत पर्व के लिहाज से बेहद खास है क्योंकि इस हफ्ते की शुरुआत मां भगवती के आशीर्वाद से हुई है। इसके साथ ही इस सप्ताह विजयादशमी पर्व, गुरु प्रदोष व्रत आदि कई पर्व मनाए जाएंगे। आइए जानते हैं अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में…

Saptahik Vrat Tyohar, 23 to 29 October 2023: वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि (Saptahik Vrat Tyohar) के साथ हुआ। इस दिन मां दुर्गा की 9वीं शक्ति की पूजा अर्चना कर कन्या पूजन किया गया। इसके अगले दिन ही दशहरा के पर्व का आयोजन किया जाएगा, जो असत्य पर सत्य की जीत की प्रेरणा देता है। वर्तमान शुक्ल पक्ष आगामी आश्विन की पूर्णिमा वाले दिन समाप्त (Saptahik Vrat Tyohar) हो जाएगा। तत्पश्चात् कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष आरंभ हो जाएगा। इस सप्ताह महानवमी, विजयादशमी पर्व, गुरु प्रदोष व्रत, पूर्णिमा व्रत आदि का आयोजन होगा। साथ ही इस सप्ताह कई ग्रहों और नक्षत्रों का राशि (Saptahik Vrat Tyohar) परिवर्तन होने वाला है। आइए जानते अक्टूबर के अंतिम सप्ताह (week) के प्रमुख व्रत त्योहार ( vrat festival) के बारे में…

महानवमी (23 अक्टूबर, सोमवार)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को नवरात्र (Saptahik Vrat Tyohar) का अंतिम दिन होता है और इस दिन महानवमी व्रत किया जाता है। नवरात्रि के 9वें दिन मां दुर्गा की 9वीं शक्ति माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा अर्चना और हवन करके कन्या पूजन किया जाता है, इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। माता के इस स्वरूप की पूजा अर्चना (Saptahik Vrat Tyohar) करने से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन शाम 5.44 बजे से दशमी तिथि (Saptahik Vrat Tyohar) लग जाएगी।

विजयादशमी पर्व (25 अक्टूबर, बुधवार)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी (Saptahik Vrat Tyohar) मनाई जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, विजयादशमी के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय हासिल करके यह सिद्ध कर दिया था कि असत्य पर सत्य की जीत होती है। साथ ही इस दिन देवी माता ने महिषासुर (Saptahik Vrat Tyohar) नामक राक्षस का भी अंत किया था। इस दिन नीलकंठ पक्षी का भी दर्शन और शमी के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। 9 दिन तक पूजा अर्चना करने के बाद इस दिन देवी दुर्गा की प्रतिमा का (Saptahik Vrat Tyohar) विसर्जन किया जाता है।

गुरु प्रदोष व्रत (26 अक्टूबर, गुरुवार)
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी और त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। गुरुवार (Saptahik Vrat Tyohar) के दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, तो उसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रदोष तिथि के दिन भगवान भोल्नाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और धन धान्य की कभी कमी नहीं होती है। प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना प्रदोष काल (Saptahik Vrat Tyohar) में की जाती है। साथ ही इस दिन पद्मनाभ द्वादशी व्रत भी है।

पूर्णिमा व्रत (28 अक्टूबर, शनिवार)
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पूर्णिमा व्रत रखते हैं। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा और कोजागिरी (Saptahik Vrat Tyohar) पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर अमृत वर्षा करते हैं। पूर्णिमा की पूरी रात खीर बनाकर खुले आकाश (Saptahik Vrat Tyohar) में रखते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन रात में आकाश से खीर में अमृत की बारिश होती है और वह खीर खाने से व्यक्ति निरोगी भी होता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था इसलिए देश के कई हिस्सों (Saptahik Vrat Tyohar) में इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है।

Prachi Chaudhary

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