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भगवान राम और कृष्ण को प्रोफेसर विक्रम, जेल भेजने की बात क्यों कर रहे ?

Uttar Pradesh News: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी कर हिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर विक्रम इन दिनों चर्चा में हैं । उनकी चर्चा किसी हिस्ट्री पढ़ने और पढ़ाने को लेकर नही है। उनकी चर्चा हो रही है हिस्ट्री को पढ़कर जनता तक पहुंचाने की। ये हिस्ट्री पौराणिक कहानी है। है भारतवासी इसे भगवान राम और भगवान कृष्ण की कहानी के रूप में जानते हैं।
आगे बढ़े इससे पहले प्रोफेसर विक्रम में की कुछ एक्स पर लिखा है उसे जानने को जरूरत है। विक्रम ने लिखा है कि अगर आज प्रभु राम होते तो शंबूक वध के दोष में इनपर 302 का मुकदमा चलाया जाता और उन्हें दंडित किया जाता। उन्होंने प्रभु कृष्ण के बारे में भी लिखा है। विक्रम कहते है कि जिस तरह से कृष्ण ने महिलाओं को ह्रास किया था इसके लिए उन्हें भी दंडित किया जाता।

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विक्रम के इस बयान के बाद हिंदू समाज नाराज हो गया। विश्व हिंदू परिषद ,बजरंग दल ,हिंदू जागरण मंच और संघ से जुड़े लोग अभी काफी नाराज है। कई साधु संत भी नाराज है और विक्रम पर कानूनी कारवाई की मांग कर रहे हैं।
कुछ कट्टर लोग तो जान से मरने को धमकी भी दे रहे हैं। विक्रम के साथ आगे क्या होगा यह आगे की बात है लेकिन समझदारी से अगर सींचा जाए तो विक्रम ने बोलने की आजादी के तहत सिर्फ यही तो कहा है कि आज अगर राम और कृष्ण होते तो उन्हे दंडित किया जाता।

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ऊपर से देखने में इसमें कोई दोष भी नही लगता। लेकिन चुकी राम और कृष्ण हमारे आराध्य है और हम उनकी पूजा करते है ,अपना ईश्वर मानते हैं ऐसे में उनके खिलाफ कुछ सुन नही सकते। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि किसी भी इंसान को झूठ नहीं बोलना चाहिए। ठगी नही करनी चाहिए। या फिर ऐसा कोई भी असामाजिक और अनैतिक काम नहीं करना चाहिए जो ईश्वर के बयान के खिलाफ है। जब भगवान बार यही कहते हैं कि सच बोलना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए और फिर गरीबों की सेवा करनी चाहिए और कमजोर लोगों की हिफाजत करनी चाहिए। ईश्वर ये भी कहते हैं कि जो समाज के सबसे पिछले पायदान पर उसकी सहायता जरूर करनी चाहिए।
लेकिन क्या ये सब हम इंसान कर पाते हैं। सच तो यही है कि हम पाखंड में जीते है और पाखंड करते भी हैं। प्रभु राम और कृष्ण हमारे आदर्श है। हमारी आस्था के प्रतीक है लेकिन इन पर भी की सवाल तो उठते ही है। क्या ईश्वर पर सवाल नही उठने चाहिए ? किसी इंसान की गरीबी लाख मेहनत के बाद भी खत्म नहीं होती तो वह इंसान भी तो ईश्वर को कोसता है। ऐसे में प्रोफेसर विक्रम कहां से गलत हो सकते है ?

Akhilesh Akhil

Political Editor

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