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आखिर “मोहन राज” से साध्वी उमा भारती गदगद क्यों है ?

Political News: पांच राज्यों में हुए चुनाव में बीजेपी को तीन राज्यों में जीत हासिल हुई और दो राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्रियों ने सत्ता को भी संभाल लिया है ।मध्यप्रदेश में मोहन यादव को सरकार बनी है तो छत्तीसगढ़ में नंदकुमार साय मुख्यमंत्री बने है। राजस्थान में भजन लाल शर्मा कल शुक्रवार को सीएम के रूप में शपथ ले लेंगे। बीजेपी बेहद खुश है। पार्टी को मिली जीत को कल्पना भी नहीं थी। लेकिन जीत हुई और भारी जीत हुई।
उधर मध्यप्रदेश और छतीगढ़ में बीजेपी को सरकार के से ही शुरू जो गई है। मध्यप्रदेश में तो हालाकि पहले से ही बीजेपी।को सरकार चल रही थी लेकिन तब शिवराज सिंह की सरकार थी। लेकिन अब मोहन यादव को सरकार हो गई है। मोहन यादव को सरकार आज क्या कुछ कार्य है और इस सरकार से जाना की अपेक्षाएं कितनी पूरी होती है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल मोहन सरकार से बीजेपी की कद्दावर नेता सिर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती बेहद खुश हैं।
बता दें कि उमा भारती ने हालाकि चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार में हिस्सा भी नही लिया था और वे चुनाव के वक्त ही हिमालय की यात्रा पर चली गई थी। लेकिन अब वे सरकार से काफी खुश हैं ।आखिर उमा भारती इतनी खुश क्यों जो गई ?


बता दें कि मोहन यादव शपथ लेते ही दो अहम फैसले लिए हैं । मोहन यादव कैबिनेट के दो शाम फैसले को चर्चा प्रदेश में भी जो रही है लेकिन उमा भारती इस फैसले से लगी खुश हैं। सीएम मोहन यादव ने पहला फैसला यह किया है कि खुले में मांस और एंड को बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। दूसरा फैसला उससे भी ज्यादा अहम है ।धार्मिक स्थानों पर जोर से लौडिस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध को बात कही गई है। हालाकि अभी इसे लागू नहीं किया गया है लेकिन इस फैसले पर शीघ्र ही अमल किया जाएगा ।जाहिर इस फैसले से एक खास समुदाय के लोगों को परेशानी हो सकती है। हालाकि इस फैसले पर कुछ लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई है। इन्ही प्रतिक्रियाओं में एक प्रतिक्रिया उमा भारती को भी है। उन्होंने इसे बेहद शाम फैसला बताया है और खुशी जाहिर की है।
उमा भारती ने मोहन सरकार को तारीफ करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि एमपी को नव निर्वाचित सरकार ने जो दो महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं वे काफी अहम है। खुले में मांस की बिक्री और जोर से बजते लौडस्पिकर पर रोक लगाकर सरकार ने मानवीय संवेदनशीलता का परिचय दिया है। नए मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट का अभिनंदन।
बता दें कि मोहन यादव संघ से जुड़े नेता रहे हैं। प्रदेश की राजनीति में संघ को भूमिका भी काफी बड़ी रही है। एमपी में संघ सबसे ज्यादा सक्रिय रहा है और संघ का यहां प्रभाव भी काफी है। जाहिर है इस बार बीजेपी ने संघ से जुड़े मोहन यादव को ही ऐश बढ़ाने का काम किया है। अब देखना ये है कि मोहन की सरकार कितनी बेहतर होती है। शिवराज सरकार से बेहतर काम कार्यों गई या कमजोर। मोहन यादव की सबसे बड़ी चुनौती अशामी लोकसभा चुनाव में एमपी से बीजेपी।को भरी जीत दिलाने को है ।एमपी में लोकसभा की 29 सीटें है। पिछले चुनाव में बीजेपी।को 28 सीयॉन पर जीत हासिल हुई थी।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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