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दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर ‘महासंग्राम’, कैसे बनेगा काम?

Delhi_hariyan Border farmer Protest Reason | Kisan Andolan

Farmer Protest: संग्राम कहिए चाहे महासंग्राम कहिए, मांगे कहिए या फिर जिद्द कहिए… लेकिन ये आंदोलन आम आदमी की टेंशन बढ़ा रहा है। जी हां दिल्ली को हरियाणा-पंजाब (Hariyana-Punjab) से जोड़ने वाले बॉर्डर एरिया पर पिछले दो दिनों से हंगामा बरपा है।.पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव जारी है। लाठी,  पत्थर और आंसू गैस छोड़े जा रहे हैं। शंभू बॉर्डर (Shambhu Border)हो या फिर सिंघु बॉर्डर, दोनों ही जगहों पर हालात बेकाबू हैं।आंदोलनकारी दिल्ली की सीमा में दाखिल होने के लिए ज़ोर आजमाइश कर रहे हैं और पुलिस उन्हें रोकने के लिए हर कोशिश कर रही है।

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दरअसल देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) में भयंकर बवाल चल रहा है। दिल्ली-पंजाब बॉर्डर (Delhi-Punjab Border) मानो भारत-पाकिस्तान का बॉर्डर बन गया है। एक तरफ जवान है तो दूसरी ओर किसान है। हरियाणा (Hariyana) के गृहमंत्री कहते हैं कि ये भारत पाकिस्तान का बॉर्डर बना दिया है। पंजाब से जत्थे चल रहे हैं और उनको वहा की सरकार नहीं रोक रही है।

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आलम ये है कि दिल्ली-पंजाब बॉर्डर पर गाड़ियों की लंबी-लंबी लाइन लगी है। आम जनता इस जाम में फंसी है…दफ्तर जाने वाले कर्मचारी। दुकान चलाने वाले व्यापारी, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर स्कूल जाने वाले छात्र..सभी को जाम में घंटों तक फंसे रहना पड़ रहा है। दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर रास्ता बंद किए जाने से सबसे ज्यादा मुश्किल उन मजदूरों को हो रही है.. जो दिल्ली के टिकरी, नागलोई इलाके से फैक्ट्री में काम करने के लिए बहादुर गढ़ जाते हैं।सड़क बंद होने से उन्हें करीब 5-6 किलोमीटर तक पैदल जाना पड़ रहा है,और तो और  पंजाब-हरियाणा की ओर से दिल्ली जाने वाले एंबुलेंस भी इस जाम में फंस रहे हैं। जिससे बीमार मरीज़ों की जान को खतरा भी हो सकता है। शायद ही ऐसा कोई हो, जिसे इस प्रदर्शन से परेशानी नहीं हुई हो। जो परेशान हुए हैं, ये वो लोग हैं, जो देश की GDP में सबसे ज़्यादा योगदान करते हैं। सरकार को इनकम टैक्स भरते हैं.. देश के विकास में सबसे ज़्यादा योगदान करते हैं। जिनके पैसे से सड़क बनती है, अस्पताल बनते हैं,  स्कूल और कॉलेज बनते हैं और तो और बड़े-बड़े स्टेशन हों या एयरपोर्ट सब की चमक-दमक इन लोगों के पैसे से ही है। जो सड़क पर घंटों तक जाम में फंसा हुआ है। अपना वक्त और पेट्रोल-डीज़ल बर्बाद कर रहा है। शायद देश की सबसे बड़ी आबादी..जो आम आदमी कहलाती है, उसकी यही कहानी रह गई है कि टैक्स दो..और जाम में फंसो। ये हाल तब है, जबकि कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा प्रदर्शनकारियों से खुद अपील कर चुके हैं कि बातचीत के रास्ते खुले हैं। लिहाज़ा आंदोलनकारी आम आदमी को परेशान ना करें। अपील के बावज़ूद किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ कह दिया है कि प्रदर्शनकारी अभी वापस नहीं जाएंगे  और तो और  अगर सरकार ने मांगे नहीं मानी तो 16 अगस्त से आंदोलन और तेज़ होगा।

किसान नेरा राकेश टिकैत (naresh Tickait)कहते हैं कि किसान वापस नहीं जाएगा  हो सकता है कि देश के किसान एक जगह इकट्ठा हो जाए या फिर अलग अलग जगह पर हो, सरकार के पास 16 फरवरी (16th February)तक का समय है।

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