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भारत -अमेरिका के बीच जेट इंजन की डील से पकिस्तान और चीन की मुश्किलें बढ़ी !

Bharat-America Deal: भारत और अमेरिका के बीच डिफेंस डील से चीन और पकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई है। हालांकि यह डील काफी लम्बे समय से ठंढे बास्ते में पड़ी हुई थी लेकिन जैसे ही कल शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति लाव लश्कर के साथ भारत पहुंचे और प्रधानमंत्री से मिले ,डिफेन्स डील पर मुहर लग गई। यह ऐसा डील है जिससे पकिस्तान और चीन की मुश्किलें बढ़ सकती है। याद रहे चीनी राष्ट्रपति इस बैठक में नहीं आये हैं। उनकी जगह चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग जी 20 की बैठक में शामिल हुए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच एयरक्राफ्ट के लिए जेट इंजन जी ई 414 डील अब सील हो गई है। इस डील के बाद इंडियन एयरफोर्स की तलकात काफी बढ़ जाएगी। यही वजह है कि भारत के पडोसी देश चीन और पकिस्तान की मुसीबत बढ़ गई है।

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बता दें कि इसी साल के जून महीने में मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान भारत और अमेरिका के बीच फाइटर जेट इंजन की डील हुई थी। भारत के लिए यह डील काफी अहम है। इस डील से भारतीय एयर फाॅर्स की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। अमेरिका इस डील के जरिये भारत को फाइटर जेट इंजन का तकनीक ट्रांसफर करेगा। बता दें कि जेट इंजन की डील भारत की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल और अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस के बीच हुई है। इसका मतलब ये हुआ कि अब लड़ाकू विमानों के लिए इंजन भारत में ही बनेंगे।
एचएएल का मानना है कि यह डील भारत के लिए गेम चेंजर साबित होगी। जब भारत के लड़ाकू विमानों के लिए इंजन भारत में ही बनेंगे तो सैन्य लड़ाकू विमानों को अधिक ताकत मिलेगी। इस तकनीक का परफॉर्मेंस काफी अच्छी है और यह इंजन काफी विश्वसनीय भी है।

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बता दें कि जी ई एक टरबाइन इंजन है और अमेरिकन नेवई इस तकनीक को पिछले 30 साल से इस्तेमाल कर रही है। यह इंजन हर स्थिति में काम करने में सक्षम है। अभी तक यह इंजन बनाने का तकनीक दुनिया के चार देशों के पास ही है। ये देश हैं अमेरिका ,रूस ,फ्रांस और ब्रिटेन। अब भारत भी इस सूची में शामिल होने जा रहा है। यह इंजन अभी देश कर रहे हैं। लेकिन अब भारत यह तकनीक मिल जाएगा भारत की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।

बता दें कि अमेरिका का यह इंजन सबसे एडवांस तकनीक से लैस है। इसे डिजिटल के माध्यम से ही कंट्रोल किया जाता है। इस इंजन में ख़ास तरह से कूलिंग मैटेरियल इस्तेमाल किया जाता है। इससे इंजन का लाइफ कई गुना बढ़ जाता है।
बदलते परिवेश में अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते काफी मजबूत हो रहे हैं। भारत एक बड़ा बाजार भी है और अमेरिका भी इस बाजार को से पीछे नहीं हटना चाहता। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच ये रिश्ते कई गुना और भी बढ़ सकते हैं।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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