धर्म-कर्म

शिव तांडव स्त्रोत बहुत ही चमत्कारी, जानें शिव तांडव स्त्रोत करने के नियम और लाभ

Sawan 2023: ज्योतिष के मुताबिक अगर सावन के सोमवार में नियमित शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया जाए तो महादेव से कोई भी वरदान प्राप्त किया जा सकता है. कहा जाता है कि शिव तांडव स्त्रोत का पाठ भोलेनाथ को कृपा बरसाने के लिए मजबूर कर देता है.

sawan Shiv Tandav

आपको बता दें रावण भगवान भोले नाथ का परम भक्त था और भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए उसने विशेष स्तुति की रचना की थी, जिसे शिव तांडव स्त्रोत कहा जाता है.

क्या है तांडव?

दरअसल तांडव शब्द ‘तंदुल’ से बना होता है तंदुल का मतलब “सामान्य किंतु प्रेमपूर्वक भेंट” , जिसका अर्थ उछलना होता है. तांडव में शक्ति और उर्जा से उछलना होता है, ताकि बुद्धि और मन शक्तिशाली हो जाए. केवल तांडव नृत्य पुरुषों को ही करने इजाजत दी जाती है. महिलाओं को तांडव नहीं करना चाहिए है.

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शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कब-कब किया जाए?

जानकारी के मुताबिक बता दें शिव तांडव स्त्रोत का पाठ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कोई समाधान न निकल पाए या तंत्र-मंत्र में बाधित हो तो उस वक्त करना चाहिए. या आर्थिक व कारोबार से जुड़ी दिक्कतें हों तो ये तांडव कर सकते हैं. यदि जीवन में किसी विशेष उपलब्धि की इच्छा है या ग्रहों की दशा खराब हो, तभी ये किया जा सकता है.

शिव तांडव स्त्रोत पाठ के नियम

ज्योतिष के मुताबिक शिव तांडव स्त्रोत (Shiv Tandav Stotram) का पाठ सुबह या प्रदोष काल में करना अति उत्तम माना जाता है है. शिव तांडव स्त्रोत (Shiv Tandav Stotram) का पाठ करने से पहले भोलेनाथ को भावना पूर्वक को नतमस्तक करें. उन्हें धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें. इसके बाद शिव तांडव स्त्रोत (Shiv Tandav Stotram) का पाठ तेज-तेज आवाज में गाकर करें. अगर इसका पाठ नाचते हुए किया जाए तो अति उत्तम होगा. पाठ के बाद भोलेनाथ का ध्यान करें और भावना के साथ प्रार्थना करें.

क्या है शिव तांडव स्तोत्र?

जानकारी के मुताबिक बता दें शिव तांडव स्त्रोत (Shiv Tandav Stotram) भगवान भोलेनाथ के प्रिय भक्त रावण की ओर से गई एक विशेष स्तुति थी. यह स्तुति छन्दात्मक (idiosyncratic) है और इसमें काफी सारे अलंकार मौजूद हैं. कहा जाता है जब रावण कैलाश पर्वत लेकर चलने लगा तो महादेव ने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को नीचे की तरफ दबा दिया था. इससे रावण कैलाश पर्वत के नीचे ही दब गया था. तब भोलेनाथ को खुश करने के लिए रावण ने एक स्तुति की थी, जिसे शिव तांडव स्तोत्र कहा जाता है. जिस स्थान पर रावण दबा गया था, उसे राक्षस ताल कहा जाता है.

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Prachi Chaudhary

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