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दिल्ली में जुटेंगे देश भर के आदिवासी कारीगर ,पीएम मोदी करेंगे आदि महोत्सव का उद्घाटन 

इस उत्सव में जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा, चित्रकारी, आभूषण, बेंत और बांस, मिट्टी के बर्तन, भोजन और प्राकृतिक उत्पाद, उपहार और वर्गीकरण, जनजातीय व्यंजन और 200 स्टालों के माध्यम से इसे प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी-सह-बिक्री की सुविधा होगी

प्रधानमंत्री मोदी 16 फरवरी को दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडियम में राष्ट्रीय आदि महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। जानकारी के मुताबिक इस महोत्सव में देश भर के एक हजार से ज्यादा आदिवासी कलाकार और कारीगर जुटेंगे और अपनी कला के साथ ही अपने उत्पाद का प्रदर्शन भी करेंगे। इस बात की जानकारी केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी है। अर्जुन  मुंडा ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री को उन उत्पादों के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी जो विभिन्न स्टालों पर प्रदर्शित होंगे। मुंडा ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री इस अवसर पर जनजातीय समुदायों के कारीगरों और शिल्पकारों के साथ मुलाकात भी करेंगे।

दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडियम में राष्ट्रीय आदि महोत्सव

मुंडा ने कहा कि जनजातीय समुदायों द्वारा उत्पादों के जैविक उत्पादन पर बल देकर जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। देश भर में आयोजित किए जा रहे आदि महोत्सवों में भाग लेने के लिए कम जानकारी वाले और अनूठी वस्तुओं का उत्पादन करने वाले दूरदराज के क्षेत्रों से अधिक से अधिक कारीगरों को आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि आदि महोत्सव जनजातीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने का एक प्रमुख मंच है। ट्राइफेड जनजातीय उत्पादों में गुणवत्ता और समकालीन डिजाइन सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनकी मौलिकता को बनाए रखने के लिए शीर्ष डिजाइनरों के साथ काम कर रहा है।

इस उत्सव में जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा, चित्रकारी, आभूषण, बेंत और बांस, मिट्टी के बर्तन, भोजन और प्राकृतिक उत्पाद, उपहार और वर्गीकरण, जनजातीय व्यंजन और 200 स्टालों के माध्यम से इसे प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनी-सह-बिक्री की सुविधा होगी।

28 राज्योंके 1000 से अधिक जनजातीय कारीगर लेंगे भाग

बता दें कि  इस आदि महोत्सव में 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक जनजातीय कारीगर और कलाकार भाग लेंगे। इसमें 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के जनजातीय रसोइये भी शामिल हैं, जिनके लिए 20 फूड स्टॉल लगाए जा रहे हैं। मोटा अनाज जनजातीय समुदायों के आहार का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। इसे मनाने और जागरूकता पैदा करने और जनजातीय मोटा अनाज के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिए, देश भर के जनजातीय कारीगरों को मोटा अनाज  उत्पादों और व्यंजनों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस महोत्सव में 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 39 वन धन विकास केंद्रों के भाग लेने की आशा है। इस उत्सव में निम्नलिखित प्रमुख आकर्षण शामिल होंगे

Akhilesh Akhil

Political Editor

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