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यूपी के बाहर सपा और बसपा सिमटी! अखिलेश और मायावती की क्या होगी अब राजनीति?

Political News: 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव से भविष्य की उम्मीद लगा रही बसपा और सपा को बड़ा झटका लगा है। नतीजों से साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश से बाहर भी बसपा का जनाधार सिमट रहा है। पिछले चुनाव के मुकाबले चारों राज्यों में बसपा की सीटें और वोट प्रतिशत दोनों घटे हैं। अखिलेश यादव के प्रचार के बावजूद मध्य प्रदेश में सपा का प्रदर्शन सिमट गया।

4 राज्यों के विधानसभा चुनाव से भविष्य की उम्मीद लगा रही बसपा (BSP) और समाजवादी पार्टी (SP) को बड़ा झटका लगा है। नतीजों से साफ हो गया है कि यूपी से बाहर भी बसपा का जनाधार सिमट रहा है। पिछले चुनाव के मुकाबले चारों राज्यों में बसपा की सीटें और वोट प्रतिशत दोनों घटे हैं। राजस्थान और एमपी के शुरुआती रुझानों में बसपा कुछ सीटों पर टक्कर देती दिखी, मगर राजस्थान को छोड़कर कहीं खाता नहीं खोल सकी। राजस्थान में उसे 2 सीटों पर जीत मिली है। वहीं मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गई।

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BSP ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है। इससे पहले पार्टी ने MP, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में पूरा जोर लगाया। पार्टी की मंशा यह थी कि इन राज्यों में यदि पहले जैसा या उससे बेहतर प्रदर्शन करती है तो इसका फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा। भविष्य में चुनाव बाद गठबंधन बनता है तो उसमें भी वह तय-तोड़ की स्थिति में आ सकती है। नतीजों ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दो राज्यों छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा। राजस्थान और तेलंगाना में सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारे, लेकिन पार्टी कोई करिश्मा नहीं कर सकी।

नहीं काम आया गठबंधन

MP और छत्तीसगढ़ में BSP ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) से गठबंधन किया था। एमपी में बसपा ने 178 और GGP ने 52 प्रत्याशी उतारे थे। छत्तीसगढ़ में बसपा 53 और GGP 37 सीटों पर लड़ी थी। इन दोनों राज्यों में बसपा ने पिछले चुनाव में दो-दो सीटें जीती थीं। इस बार दोनों पार्टियों में से किसी को एक भी सीट हासिल नहीं हुई।

मुश्किल होगी आकाश की राह

BSP प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर बनाने के बाद पहली बार चुनावों में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी थी। कहा था कि यह चुनाव आकाश की अगुआई में लड़ा जाएगा। इन राज्यों का प्रभारी बनाकर अशोक सिद्धार्थ को भी उनके साथ लगाया गया था। मायावती ने भी सभी राज्यों में रैलियां कीं। कोशिश यह थी कि अगर यहां बेहतर प्रदर्शन होता है तो इसका श्रेय आकाश को ही जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब आकाश की आगे की राह मुश्किल ही रहेगी। यह भी देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में उन्हें कितनी जिम्मेदारी दी जाती है।

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क्या और मुश्किल होगी राह?

इस प्रदर्शन से BSP की आगे की राह और मुश्किल होगी। सबसे बड़े राज्य यूपी में बसपा का ग्राफ चुनाव-दर-चुनाव गिर रहा है। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली BSP 2022 में एक सीट पर सिमट गई और वोट प्रतिशत भी गिरकर 13% पर आ गया। ऐसे में वह इन 4 राज्यों से काफी उम्मीद कर रही थी। यहां कुछ बेहतर करने पर पार्टी का जनाधार बढ़ाने में मदद मिलती। लोकसभा चुनाव में गठबंधन की स्थिति बनने पर फायदा मिलता। 4 राज्यों के इन चुनावों ने BSP की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

MP में अपने सबसे बुरे दौर में पहुंची SP

मध्य प्रदेश में गठबंधन में सीटें न मिलने से कांग्रेस से नाराज सपा ने अकेले दम पर पूरी ताकत झोंकी थी। हालांकि, SP वहां कोई असर नहीं छोड़ पाई। पार्टी को महज 0.45% वोट ही मिले। वोट प्रतिशत के लिहाज से यह SP का अपनी स्थापना के बाद सबसे खराब प्रदर्शन है। 1993 में स्थापना के साल जब SP ने MP में चुनाव लड़ा था, तब उसे 0.54% वोट मिले थे। पिछले ढाई दशक में पहली बार SP के कुल वोटों का आंकड़ा 2 लाख पार भी नहीं कर पाया।

SP ने MP विधानसभा चुनाव में करीब 50 उम्मीदवार उतारे थे। SP मुखिया अखिलेश यादव ने वहां करीब 10 दिनों तक चुनाव प्रचार किया था। उनकी पत्नी और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव और SP के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव सहित पार्टी के कई नेता वहां चुनाव प्रचार में जुटे थे। अखिलेश ने यहां PDA फॉर्म्युले को लागू करते हुए जातीय जनगणना को चुनावी मुद्दा बनाया था। पार्टी को सबसे अधिक उम्मीदवार बुंदेलखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में थी, लेकिन उसे हर ओर निराशा हाथ लगी।

कहीं भी नहीं रही लड़ाई में

पार्टी के उम्मीदवारों को मिले कुल वोट 1.96 लाख से भी कम हैं। 1997 से लेकर अब तक का यह पहला चुनाव है, जब पार्टी 2 लाख वोटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाई। जिस निवाड़ी सीट से SP को सबसे अधिक उम्मीद थी, वहां वह तीसरे स्थान पर रही। SP को यहां 32,000 से अधिक वोट जरूर मिले, जो कांग्रेस की 17,000 से हुई हार के अंतर का दोगुना था।

अटेर सीट पर भी सपा 10,000 वोट पाने में कामयाब रही। बुधनी से CM शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ जिस मिर्ची बाबा को पार्टी ने उतारा थे, उन्हें महज 136 वोट मिले। मुरैना में 75 वोट से सपा को संतोष करना पड़ा। 2018 में सपा को 1.30% वोट मिले थे और पार्टी का एक विधायक भी बना था।

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सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा कि BJP चुनाव को प्रभावित करने के अवांछनीय तरीके इस्तेमाल कर रही है। वह लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुकी है। हम अपने प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे। 2024 में SP BJP की राह रोकेगी। I.N.D.I.A. मिलकर NDA को हराएगा।

बसपा का प्रदर्शन-

राज्य 2018 (सीटें/वोट%) 2023(सीटें/वोट%)
राजस्थान 6/4 4/1.82
मध्य प्रदेश 2/5.01 0/3.3
छत्तीसगढ़ 2/3.9 0/2.2
तेलंगाना 0/3 0/1.39

Prachi Chaudhary

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