क्या अजय राय यूपी में कांग्रेस की जमीन मजबूत कर पाएंगे?
Ajay Rai New Congress President: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष अजय राय को बनाया है। अजय राय (Ajay Rai) पूर्वांचल के भूमिहार ब्राह्मण नेता है। उनकी अपनी सियासत है और अपनी राजनीतिक जमीन भी। हालांकि वे कई बार से चुनाव हारते रहे हैं लेकिन सवर्णों में पकड़ है इसे झूठलाया नहीं जा सकता। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या अजय राय पार्टी का अध्यक्ष बनकर यूपी में कांग्रेस की जमीन को मजबूत कर पाएंगे?
कौन हैं अजय राय?
अजय राय (Ajay Rai ) भी आम भारतीय नेताओं की तरह ही रहे हैं। वे भी बीजेपी की ही राजनीति करते थे। उनकी राजनीतिक शुरुआत बीजेपी से ही हुई थी। बीजेपी में रहते हुए उन्होंने सवर्ण समाज को बीजेपी से जोड़ने का काम किया था और वाराणसी जैसे इलाकों में इसका लाभ भी बीजेपी मिलता रहा। लेकिन बाद में वे बीजेपी से टिकट को लेकर नाराज हुए और पार्टी से अलग हो गए। वे सपा में गए और वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ लड़े भी। हार गए। बाद में उन्होंने फिर निर्दलीय चुनाव भी लड़ा। जीत हासिल हुई। इसके बाद राय 2012 में कांग्रेस से जुड़ गए और अभी तक कांग्रेस के साथ बने हुए हैं।
यूपी में कांग्रेस का वजूद न के बराबर है। उसके संगठन कमजोर हैं। जो संगठन पहले थे वे सभी या तो बीजेपी के साथ चले गए हैं या फिर सपा और बसपा में चले गए हैं। इधर कुछ सालों में कांग्रेस ने अपने कमजोर संगठन को तैयार करने की कोशिश जरूर की थी लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस को कोई ज्यादा लाभ नहीं हो सका। प्रियंका गांधी को यूपी का महासचिव बनाया गया लेकिन पार्टी को परिणाम नहीं मिले। इस बीच कई प्रदेश अध्यक्ष भी बदले गए लेकिन कोई बदलाव पार्टी में नहीं। हर जाति के लोगों ने कांग्रेस पार्टी की कमान थमाई लेकिन कोई लाभ नहीं। अब अजय राय (Ajay Rai ) की बारी है। अजय राय क्या कुछ करेंगे यह तो आने वाले समय में पता चलेगा लेकिन एक बात साफ़ है कि पूर्वांचल में भूमिहार ब्राह्मण भले ही कम आबादी में हैं लेकिन उनका प्रभाव बड़ा है। अजय राय की खासियत ये है कि उनके साथ और ब्राह्मण समाज के लोग भी जुड़े हुए हैं और खासकर क्षत्रिय समाज में भी उनकी काफी पहुंच है। कांग्रेस ने अजय राय को किस आधार पर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाया है ये तो कोई नहीं जानता लेकिन जानकार मान रहे हैं कि अगर अजय राय सवर्ण समाज के युवाओं को अपने साथ बांध लेते हैं तो कांग्रेस को बड़ा लाभ हो सकता है।
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प्रदेश में अभी तक ब्राह्मण, भूमिहर और क्षत्रिय समाज बीजेपी के साथ ही रहे हैं। हालांकि एक समय ऐसा भी था जब प्रदेश के सभी सवर्ण लोग कांग्रेस के होते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। ऐसे में अजय राय के बारे में कहा जा रहा है कि वे सवर्ण समाज को जोड़ सकते हैं। इसके साथ ही दलित समाज में भी कांग्रेस की पैठ बढ़ रही है। उधर मुस्लिम समाज के लोग भी कांग्रेस से आंस लगाए बैठे हैं। लेकिन ये सभी बातें सामाजिक स्तर पर देखने में तो ठीक लगती है लेकिन ये सभी चुनावी राजनीति में किसके साथ खड़े होते हैं यह देखने की बात है।
अगर अजय राय (Ajay Rai ) अपने नेतृत्व में सवर्ण वोट के साथ कुछ दलित और पिछड़े वोट के साथ मुस्लिमों के वोट बैंक को अपने साथ लाने में कामयाब होते हैं तो कांग्रेस को कुछ लाभ हो सकता है। जानकार मान रहे हैं कि अजय राय की पहुंच पूर्वांचल तक तो ठीक है लेकिन पश्चिमी यूपी में अभी उनकी पहुंच कितनी होगी कहना मुश्किल है। उधर बीजेपी की पहुंच हर जगह हो गई है। सपा ने भी हर जगह अपनी पहुंच बना रखी है। यही हाल बसपा की भी है। ऐसे में अजय राय के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की है। अगर वे ऐसा कर पाते हैं तो इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस काे चार-पांच सीटें मिल सकती है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस करीब दर्जन भर सीट की तैयारी कर रही है। इस तैयारी में अजय राय की क्या भूमिका होती है इसे देखने की बात है।