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पान की खेती से किसान हो रहे मालामाल, सरकार की तरफ से भी दिया जाता है अनुदान का लाभ

Betel Cultivation : मिर्जापुर (Mirzapur) जिले के नकहरा के किसान देशी पान की खेती कर मालामाल होते जा रहे हैं। देशी पान की खेती (betel cultivation) करके किसान लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। किसान परंपरागत खेती से हटकर अलग खेती पर जोर दे रहे हैं। देशी पान की डिमांड ज्यादा होने की वजह से इसकी मार्केटिंग में भी कोई दिक्कत नहीं होता है। सरकार अलग खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

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जानकारी के मुताबिक आपको बता दें मिर्जापुर (Mirzapur) जिले में किसान परंपरागत खेती से हटकर पान की खेती (betel cultivation) कर रहे हैं। जिले में कई सालों से किसान पान की खेती कर रहे हैं और लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। कुछ किसानों अपने पुरखों की विरासत को आगे बढ़ते हुए इसकी खेती कर रहे हैं, वहीं कई नए किसान भी इस खेती से जुड़े हैं। पान की डिमांड अधिक होने की वजह से इसकी खरीद और बिक्री में भी परेशानी नहीं होती। किसानों को मनमाफिक अच्छा दाम भी मिलता है।

मिर्जापुर जिले के नकहरा में चौरसिया समाज के लोगों की किस्मत पान (betel cultivation) बदल रहा है। यहां के लोग दशकों से पानी की खेती करके समृद्ध हो रहे हैं। नकहरा के किसान देशी पान कतक, सांची और छपरा उगाते हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा कुछ किसानों ने खेती छोड़ दी है, लेकिन कई लोग अभी भी इस खेती से जुड़े हुए हैं। पानी की खेती में देखभाल की जरूरत अधिक होती है। बारिश और कोहरे में पान की खेती पर असर पड़ता है। अधिक मेहनत के साथ पान की खेती में अधिक मुनाफा भी होता है।

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खेती करने में 2 लाख से अधिक की आती है लागत

किसान कपिल चौरसिया ने बताया कि पान की खेती (betel cultivation) करने के लिये पहले बरेजा तैयार किया जाता है। बरेजा तैयार होने में डेढ़ से दो लाख की लागत आती है। पहले वर्ष में खेती से अधिक लाभ नही मिलता है, लेकिन दूसरे साल से डेढ़ से दो लाख रुपये की इनकम होती है। पान की बिक्री में कोई परेशानी नहीं होती है। इसके बाद भी अगर बच जाता है तो बनारस मंडी में ले जाकर बेचा जा सकता है। कपिल ने बताया कि उन्हें महोबा ले जाकर समय- समय पर प्रशिक्षण भी लेते रहते है।

खेती पर सरकार की ओर से मिलता है अनुदान का लाभ

उद्यान विभाग के योजना प्रभारी पुष्पेंद्र तिवारी ने बताया कि पान की खेती फरवरी महीने में की जाती है। दस बिस्वा बरेजा तैयार करने में 1 लाख रुपये का खर्च आता है। सरकार की तरफ से पान की खेती करने वाले किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 50,000 रूपए का अनुदान उद्यान विभाग की तरफ से दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एक साल में अधिकतम 5 किसानों को इसका लाभ दिया जा सकता है। 2023- 2024 में अनुदान देने के लिए कोई लक्ष्य नहीं आया है।

Prachi Chaudhary

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