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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की पोती फातिमा भुट्टो ने अपने निकाह के बाद हिंदू मंदिर में की पूजा अर्चना

Fatima Bhutto in Hindu Temple: पाकिस्तान से एक रोचक खबर सामने आई है पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की पोती फातिमा भुट्टो ने अपने निकाह के बाद हिंदू मंदिर में पूजा अर्चना कर नई मिसाल कायम की. ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है फातिमा के इस कदम से सोशल मीडिया पर हलचल मच गई. कुछ यूजर ने उनके इस कदम की प्रशंसा की तो अन्य ने उनकी आलोचना की.

बताते चले 29 मई 1982 को जन्मी, फातिमा पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत बेनजीर भुट्टो की भतीजी और मुर्तजा भुट्टो की बेटी हैं.पेशे से वह लेखक और कॉलमिस्ट है. फातिमा भुट्टो ने शुक्रवार को कराची (karachi)में उनके दादा के पुस्तकालय में सादगी ग्राहम जिब्रान के साथ निकाह किया.

रविवार को फातिमा(fatima) अपने पति ग्राहम जिब्रान के साथ कराची (karachi)के ऐतिहासिक महादेव मंदिर में गई. फातिमा के साथ उनके भाई जुल्फिकार अली भुट्टो (Zulfikar Ali Bhutto)जूनियर और हिंदू नेता भी मौजूद थे. उन्होंने और उनके पति ने शिवलिंग पर दूध चढ़ाया. जिसके बाद पाकिस्तान में बवाल मच गया. बता दे कि फातिमा के पति ग्राहम ईसाई धर्म के हैं और अमेरिका के रहने वाले हैं.

फातिमा भुट्टो (fatima Bhutto)और उनके पति के मंदिर पहुंचने के बाद सोशल मीडिया(social media) पर हलचल मचा दी. लोगों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी. ट्विटर अकाउंट ‘सिंधी अर्जक’ ने तस्वीर पर ट्वीट करके कहा , “तस्वीरें देखकर बहुत अच्छा लगा.” एक अन्य यूजर ने लिखा, “बहुत बढ़िया.”हालांकि कई यूजर ने पूछा कि मुसलमान होने के बाद वह मंदिर में क्या करने गई थीं.

बता दें पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो (Prime Minister Zulfikar Ali Bhutto) को सैन्य तख्तापलट के बाद सन् 1979 में तत्कालीन सैन्य तानाशाह जिया उल हक ने फांसी पर चढ़वा दिया था. जुल्फिकार की सबसे बड़ी बेटी बेनजीर भुट्टो की दिसंबर 2007 में रावलपिंडी (rawalpindi) में हत्या कर दी गई थी.

भुट्टो परिवार का पाकिस्तानी राजनीति में एक लंबा इतिहास रहा है लेकिन परिवार की राजनीतिक विरासत के बावजूद, फातिमा भुट्टो का जन्म काबुल में हुआ था वो सीरिया और कराची में रहकर पढाई की है फातिमा नें सिर्फ लेखक और एक्टिविस्ट के रूप में अपने करियर पर ध्यान दिया है. वह हमेशा राजनीतिक सुर्खियों से बाहर रही हैं और पाकिस्तान में पारंपरिक राजनीतिक प्रणाली की आलोचना करती रही है.

Prachi Chaudhary

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