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Stubble Will Sold In Wholesale Markets Of Delhi: खुशखबरी ! खेतों में पड़ी पराली कराएगी किसानों की मोटी कमाई, थोक मंडियों में होगी खरीद

Stubble Burning Sold News: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण की बड़ी वजह पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली है। इसे रोकने के लिए सरकारें लगातार कोशिश कर रही हैं। इस बीच दिल्ली की मंडी में अब पराली को व्यापारी खरीदेंगे। इसकी कीमत 1500-2000 रुपये/टन तय की गई है।


नई दिल्ली: पराली जलने से होने वाले पल्यूशन की समस्या सुलझाने के लिए नई पहल की गई है। दिल्ली के किसानों की पराली थोक मंडियों के व्यापारी खरीदेंगे। उसी पराली से ओखला, आजादपुर, गाजीपुर, केशोपुर मंडियों में फलों और सब्जियों की पैकेजिंग की जाएगी। किसानों को पराली का उचित दाम भी मिल सकेगा। पराली की कीमत 1500-2000 रुपये/टन तय की गई है।

Delhi में 29,000 हेक्टेयर में होती है खेती

दिल्ली सरकार ने पराली जलने की घटनाओं पर रोक लगाने का एक्शन प्लान 2023-24 कमिशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट के सामने पेश किया है। जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में खेती की कुल जमीनें 29,000 हेक्टेयर हैं। इसमें से 6,000 हेक्टेयर में ही धान की खेती होती है। इस साल 5000 एकड़ एरिया में बायो डी-कंपोजर के छिड़काव का टारगेट रखा गया है। इसमें से 4,000 एकड़ में लिक्विड बायो डी-कंपोजर और बाकी बचे 1,000 एकड़ में पाउडर बायो डी-कंपोजर का छिड़काव किया जाएगा। पिछले महीने के आखिर तक 1469 एकड़ में बायो डी-कंपोजर का छिड़काव किया जा चुका है। इस साल पूसा इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली के सेटेलाइट से खेतों में पराली जलने की दो घटनाएं सामने आई हैं। जांच करने पर पता चला कि एक घटना पराली की नहीं, बल्कि खेत में सरकंडे जलने की है।

किसानों को पराली की मिलेगी कीमत

एक्शन प्लान रिपोर्ट (action plan report) में यह भी कहा गया है कि पराली जलने की परेशानियों से निपटने के लिए सरकार ने यह प्लान किया है कि किसानों को पराली का उचित दाम मिले। ताकि किसान पराली को सीधे थोक मंडियों के व्यापारियों को बेच दें। इसके लिए किसानों और दिल्ली की थोक मंडियों के व्यापारियों के साथ मीटिंग भी की गई है। थोक मंडियों के व्यापारी फलों और सब्जियों की पैकेजिंग के लिए कागजों के बजाय पराली का इस्तेमाल करें। पराली की कीमत 1500-2000 रुपये/टन तय की गई है। अफसरों का कहना है कि यह प्लान इसलिए बनाया गया है कि ताकि किसान पराली को बेचने के लिए प्रोत्साहित हों और खेतों में पराली न बचे। इससे न तो पराली जलेगी और न ही पल्यूशन (pollution) की समस्या रहेगी

Prachi Chaudhary

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