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जानिए अजित पवार के नेताओं ने क्यों की आज शरद पवार से मुलाकात ?

Maharastra Politica: महाराष्ट्र की राजनीति दिलचस्प मोड़ पर है। यहाँ कौन किसके साथ है और कौन किसका विरोधी पता ही नहीं चलता। एक तरफ बिना संख्या बल के ही बीजेपी लगातार अजित पवार पर मेहरबान है और उसके 9 नेताओं को मंत्री भी बना दिया। खेल इतना ही भर था। वे सभी मंत्रालय अजित पवार खेमे को दिए गए जिस पर शिंदे गुट का कब्ज़ा था। फिर अजित पवार को वित्त मंत्रालय भी मिला। उनके लोगों को सहकारिता मंत्रालय भी दिया गया। इसी सहकारिता मंत्रालय में अजित पवार के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप बीजेपी ने लगाए थे। क्या माना जाय कि या तो आरोप गलत थे या फिर किसी भी आदमी को तोड़ने के लिए यह सब षड्यंत्र रचने का काम बीजेपी करती रही है ? महाराष्ट्र के लोग भी इस खेल से चकित है। इस अंजाम क्या होगा वह तो आगमी समय में पता चलेगा।

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आज एक और खेल हुआ। यह खेल अजित पवार गुट की तरफ से खेला गया। अजित पवार के कई बड़े मंत्री शरद पवार से मिलने पहुँच गए। मुलाकात भी हुई और बात भी हुई। सबने पैर छुए और आशीर्वाद भी लिया। जानकारी के मुताबिक अजित पवार जुट से शरद पवार के पास गए छगन भुजवल और प्रफुल्ल पटेल ने मीडिया को जो कहा है वह यह कि उन्होंने शरद पावर से आशीर्वाद लिया और उनके ही नेतृत्व में पार्टी को आगे बढ़ाने की बात कही। प्रफुल्ल पटेल ने मीडिया को कहा कि हमारी इच्छा है कि हम सब मिलकर पार्टी को आगे बढ़ाये और एक साथ मिलकर काम करे। हमने शरद पवार साहब को कहा कि वे इस दिशा में विचार करें हलकी पवार साहब ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
प्रफुल्ल पटेल की कथनी को माने को तो उन्होंने एनसीपी को एकजुट होने का आग्रह शरद पवार ने कुछ भी नहीं कहा है। अब शरद पवार क्या कुछ कहते हैं इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। लेकिन भीतरखाने की खबर ये भी है कि आज जो कुछ भी हुआ है वह सब बीजेपी के इशारे पर किया गया है। बीजेपी को पता है कि अजित पावर के पास पार्टी तोड़ने के लिए 36 विधायकों की संख्या नहीं है। हालांकि अजित पवार बार -बार कहते रहे हैं कि उनके साथ 40 विधायक है। लेकिन यह सब झूठ है। बीजेपी को लग रहा है कि अगर एनसीपी की टूट नहीं हुई तो उसका कल बिगड़ सकता है। कल होकर जब शरद पवार क़ानूनी लड़ाई में जायेंगे तो अजित पवार की हार हो सकती है और बीजेपी की भी भद पिट सकती है। क्योंकि बीजेपी यही सब शिवसेना के साथ भी कर चुकी है। बीजेपी की परेशानी इस बता को लेकर है कि भले ही उसने शिवसेना और एनसीपी को तोड़ दिया हो लेकिन वोट उसके हाथ नहीं आये हैं। आज भी शिवसेना की बड़ी वोट उद्धव ठाकरे के पास ही है और एनसीपी का बाद वोट शरद पवार के साथ है। बीजेपी की मुश्किल यही है।

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अब शरद पवार आगे क्या कुछ करते हैं इसे देखना है। उन्हें दो दिन बार ही विपक्षी एकता की बैठक में भी जाना है। शरद पवार को पता है कि एनसीपी अब पहले वाले नहीं रही लेकिन आगे क्या करना है उन्हें ही निर्णय लेना है। या तो वे पार्टी को चलाएंगे या फिर अजित पवार के साथ मिलकर बीजेपी की सहयोगी बनेंगे। और ऐसा हुआ तो देश की राजनीति फिर से अलग राह पकड़ सकती है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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