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Parthiv Shivling Puja Vidhi: पार्थिव शिवलिंग की पूजा से होगी आपकी सारी मनोकामना पूरी, संतान प्राप्ति को लिए ऐसे करें भगवान शिव की उपासना

Parthiv Shivling Puja Vidhi | How to make Parthiv Shivling

Parthiv Shivling: धर्म ग्रंथों (Religious Scriptures) के अनुसार स्वर्ग में भगवान शिव (God Shiv) के ‘सिर’, धरती पर ‘शिव-लिंग’ और पाताल में उनके ‘चरणों’ की पूजा का प्रावधान बताया गया है। पूजा के आधार पर इनकी संख्या कम या ज्यादा होती रहती है। पार्थिव शिवलिंग में भगवान शिव की पूजा इसलिए की जाती है हिंदु धर्म के अनुसार यें माना जाता है कि प्रभु कण-कण में विद्यमान हैं। संतान प्राप्ति की मनोकामना के साथ यदि इस विधि-विधान का पालन किया जाए तो संतान प्राप्ति के मार्ग मे आ रही बाधाओं को भगवान शिव जल्दी से जल्दी से पूरी करते हैं.
धर्मशास्त्र के अनुसार स्वर्ग में भगवान शंकर के ‘सिर’, पृथ्वी पर ‘शिव-लिंग’ और पाताल में उनके ‘चरणों’ की पूजा करने का विधान है। भगवान शिव की पूजा जीवन और मन से सभी कलह और क्लेशों को दूर कर हर सुख देने वाली मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार की गई शिवलिंग पूजा जल्द ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती है। शिवलिंग के दक्षिण दिशा की ओर बैठकर यानी उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा और अभिषेक करने से शीघ्र फल मिलता है।

पुराणों के अनुसार, शिवलिंग पूजा भगवान शिव की पार्थिव पूजा है। पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को शरीर के केवल इसी अंग की पूजा करने का अधिकार है। वे शिव (Parthiv Shivling Puja Vidhi) के संपूर्ण अनंत स्वरूप की आराधना एक साथ नहीं कर सकते। स्वर्ग में शिवजी (Parthiv Shivling ) के ‘सिर की, पृथ्वी पर ‘शिवलिंग’ की तथा पाताल में उनके ‘पैरों’ की पूजा की जाती है। मंदिरों में स्थापित शिवलिंगों में ही उनकी पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन पार्थिव लिंगार्चन (Parthiv Shivling Puja Vidhi) का विशेष महत्व है, जिसकी विधि, पुराणों, विशेषकर शिव पुराण में विस्तृत रूप से वर्णित है। शिव उपासना से कामनाओं की पूर्ति के लिए पार्थिव शिवलिंग (Parthiv Shivling Puja Vidhi) पूजा बहुत ही शुभ मानी गई है। पार्थिव शिवलिंग पूजा मनचाहे सुख देती है। संतान प्राप्ति के लिए उपाय सोमवार, चतुर्दशी, महाशिवरात्रि, सावन माह या कोई भी शुभ मुहूर्त देखकर प्रारंभ किया जाता है।

संतान प्राप्ति के लिए विधि-विधान

संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले पति-पत्नी दोनों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद व्रत करना चाहिए। भगवान भोलेनाथ के प्रति पूरी श्रद्धा रखते हुए गंगा की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाएं या गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं। पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद इनकी गंध, अक्षत, बिल्वपत्र, धतूरा चढ़ाकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करें या किसी योग्य कर्मकाण्डी ब्राह्मण द्वारा संपन्न करवाएं। पति-पत्नी दोनों को पार्थिव लिंग के अभिषेक का पवित्र जल प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए और भगवान शिव से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। यदि यह प्रयोग कम से कम 21 दिनों तक पूरी आस्था और भक्ति के साथ किया जाए तो शिव कृपा से पुत्र प्राप्ति की इच्छा शीघ्र ही पूरी हो जाती है।


भिन्न-भिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए भिन्न-भिन्न पदार्थों से शिवलिंग (Parthiv Shivling Puja Vidhi) तैयार किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सर्वसिद्धि के लिए बड़ा सा शिवलिंग (Parthiv Shivling ) बनाकर उसके चारों ओर अनामिका उंगली के बराबर कई मोटे व लंबे पार्थिव बनाकर उसकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजन के आधार पर ही इनकी संख्या घटती-बढ़ती है। नियमानुसार यदि प्रतिदिन पूजा करनी हो तो इनकी संख्या 11, 28 या 108 और नैमित्तिक रूप से करने पर 1100 या 11000 या सवा लाख होती है। सवा लाख पार्थिव की पूजा एक दिन में संभव नहीं हो पाती। अतः 11-11 हजार करके कई बार में यह संख्या पूरी की जा सकती है। इनकी विधिपूर्वक पूजा (Parthiv Shivling Puja Vidhi) करके पार्थिव संख्या का दशांश हवन, उसका दशांश तर्पण और तर्पण का दशांश मार्जन करना चाहिए। पार्थिव लिंग पूजा से पूर्व तथा अभिषेक होने तक, भस्म रूद्राक्ष धारण करने के साथ ही अभिषेक होने तक ‘ओम नमः शिवाय’ का मानसिक जप करना चाहिए। इस विधि-विधान (Parthiv Shivling Puja Vidhi) द्वारा संतान की कामना से जब व्रत-अनुष्ठान किया जाता है तो भगवान भोलेनाथ उसे पूर्ण करते हैं।

Prachi Chaudhary

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