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विपक्ष एक हो गया तो क्या बीजेपी हार जाएगी ?

Political News: अपने अमेरिका प्रवास के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा था कि एकजुट विपक्ष 2024 के चुनाव में बीजेपी को हरा देगा। ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि अब जब 23 जून को पटना में विपक्षी एकता की बैठक होने जा रही है तो क्या सचमुच बीजेपी की मुश्लिके बढ़ सकती है ? जानकारी के मुताबिक 23 जून को पटना में कोई 15 से ज्यादा विपक्षी दल जुट रहे हैं। इसकी जानकारी खुद राजद नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मीडिया को दी है। इस बैठक में कांग्रेस के सभी आला नेता तो शामिल हो ही रहे हैं ,ममता ,पवार ,स्टालिन और केजरीवाल के साथ ही अखिलेश यादव भी आ रहे हैं। यह कोई मामूली जुटान नहीं है। उधर असम से भी एक खबर आई है कि अगले लोकसभा चुनाव में सूबे की 11 पार्टियां आपसी गठबंधन करके बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलेगी।


इस विपक्षी एकता का अंतिम परिणाम क्या होगा

इसे तो देखना बाकी है लेकिन जिस तरह से देश जातियों की राजनीति के सहारे आगे बढ़ रही है वह बीजेपी के हिंदुत्व वाले खेल पर भारी पड़ती दिख रही है। अभी हाल में ही संघ के मुख पात्र ऑर्गनाइजर में जो सम्पादकीय छपा है उसमे भी कहा गया है कि अब समय आ गया है कि बीजेपी को अपनी रणनीति में बदलाव करना चाहिए। सम्पादकीय में यह भी कहा गया है कि अब केवल पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव नहीं जीते जा सकते और नहीं ही हिंदुत्व के सहारे पार्टी आगे बढ़ सकती है। पत्र लिखता है कि मोदी आज भी निश्चित तौर पर बप के बड़े नेता है और उनकी पहुंच लोगों तक है लेकिन केवल उनके चेहरे के सहारे ही चुनाव नहीं जीते जा सकते। पार्टी को क्षेत्रीय स्तर पर जमीनी नेताओं को खड़ा करने की जरूरत है। और ऐसा नहीं होगा तो पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पत्र में राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा की भी चर्चा की गई है। कहा गया है कि राहुल गाँधी जिस रस्ते पर आगे बढ़ रहे हैं उससे कांग्रेस को मजबूती मिल रही है और बीजेपी को अब मजबूत होने की जरूरत है।

केवल हिंदुत्व और हिन्दू -मुसलमान का खेल पार्टी को आगे नहीं बढ़ा सकते।

बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव में मात देने के लिए विपक्ष एक हो रहा है। जानकार यह भी मान रहे हैं कि अगर विपक्ष के बीच सीटों का बँटवारा ठीक से हो गया और बीच में कोई लड़ाई नहीं हु तो बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है। बीजेपी भी इस खेल को समझ रही है। बीजेपी को लगने लगा है कि अब उसके खिलाफ देश में माहौल बन रहा है। लेकिन बीजेपी को अभी भी लगता है कि विपक्ष चाहे जो भी कर ले उसकी स्थिति उतनी ख़राब नहीं है जितनी बताई जा रही है। इसकी वजह भी है। पिछले चुनाव का विश्लेषण करे तो पता चलता है कि कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है कई राज्य ऐसे हैं जहाँ है बीजेपी और कांग्रेस सीन में ही नहीं है।

फिर कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है।
देश के 12 राज्यों और 3 केंद्र शासित राज्यों में लोकसभा की 161 सीटें आती है। इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होता रहा है। काफी पहले से ही चल रहा है। जब बीजेपी की बारी आती है तो बीजेपी आगे निकल जाती है और जब कांग्रेस की हवा बहती है तो कांग्रेस बीजेपी को पछाड़ देती है। इनमे भी 147 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच भारी मुकाबला देखा जाता है। 12 सीटें ऐसी है जहाँ क्षेत्रीय दल भी सामने आती है और वह मुकाबला भी। मध्यप्रदेश ,हरियाणा ,कर्नाटक ,गुजरात ,राजस्थान ,असम ,छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य है जहाँ लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच होती रही है। पिछले चुनाव में यहाँ 147 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीट गई थी और पांच सीट पर अन्य की जीत हुई थी।


इसके अलावा पांच राज्य ऐसे हैं जहाँ लोकसभा की 198 सीटें आती है।

इन राज्यों में शामिल है बिहार ,बंगाल ,झारखंड ,महाराष्ट्र और ओडिशा। यहाँ 154 सीटों पर बीजेपी और क्षेत्रीय दलों का मुकाबला होता है। जबकि 25 सीटों पर कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों का मुकाबला होता है। 19 सीटों पर क्षेत्रीय दल ही आपस में भिड़ते हैं। बंगाल में में 42 सीटों में से 39 सीटों पर बीजेपी पहले या दूसरे नंबर पर थी। पिछले चुनाव में बीजेपी को 116 सीटों पर जीत हुई थी जबकि कांग्रेस को 6 सीटें मिली थी और अन्य को 76 सीटें।
इसके साथ ही करीब देश में ऐसी 25 सीट हैं जहाँ कांग्रेस की लड़ाई क्षेत्रीय दलों से होती है। केरल ,लक्ष्यदीप ,नागालैंड ,मेघालय और पुडुचेरी ऐसे जी राज्य है जहाँ कांग्रेस की लड़ाई स्थानीय दलों से होती है। यहाँ बीजेपी लड़ाई में नहीं है। पिछले चुनाव में 17 सीटें कांग्रेस को मिली थी वही अन्य के खाते में 8 सीटें गई थी।


देश के भीतर ऐसी 93 सीटें हैं

जहां जिसका दाव चल गया उसकी जीत हो जाती है। यहाँ मुकाबला सबके बीच होती है। इन सीटों पर सबकी निगाह होती है। महाराष्ट्र को ही लीजिए। यहाँ बीजेपी और कांग्रेस गठबंधन में है। इन 93 सीटों में बीजेपी को पिछले चुनाव में 40 सेट मिली थी। अन्य के खाते में 41 सीटें गई और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थी। ये ऐसी सीटें है जहाँ कोई भी बेहतर कर सकता है।


66 सीटें ऐसी हैं जहाँ केवल राज्य आधारित पार्टी का दबदबा है। ये राज्य है तमिलनाडु ,सिक्किम ,आंध्र प्रदेश और मिजोरम। इन राज्यों में क्षेत्रीय दल काफी मजबूत हैं। तमिलनाडु की 39 सीटों में से सिर्फ 12 सीटों पर ही कांग्रेस और बीजेपी का थोड़ा जनाधार है। वह भी किसी के सहारे। पिछले चुनाव में यहाँ कांग्रेस को 8 सीटें मिली थी जबकि 58 सीटों पर अन्य को जीत हुई थी। बीजेपी का खता भी नहीं खुला था
ऐसे में देखा जाए तो अगर जहां बीजेपी को जीत हासिल होती रही है अगर बीजेपी वहां जहाँ जोर लगाती है तो उसे कोई ज्यादा हानि नहीं हो सकती। लेकिन इतना तो साफ़ है कि अगर वोपक्षी एकता मजबूती के साथ सामने आ गई है और सीटों का बंटवारा ठीक से हो गया तो बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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