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मणिपुर में गृह युद्ध,अमित शाह की अग्नि परीक्षा

Manipur News: मणिपुर में स्थिति विकट हो गई है ।यह ऐसी स्थिति है जिसका समाधान दिख भी नही रहा है ।एक समाज के लोग दूसरे समाज पर हमला कर रहे है और इस खेल में सेना के जवान चपेटे में आ रहे है । मई महीने से यहां उपद्रव शुरू है और स्थानीय बिरेन सिंह की बीजेपी सरकार का कोई बस नहीं चल रहा है ।सच तो यही है जो लोग एक दूसरे से लड़ रहे हैं और एक दूसरे के खून के प्यासे है

वे भी स्थानीय सरकार को ही दोषी मान रहे हैं ।
ताजा हालात ये है कि आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 90 से ज्यादा लोग मौत के शिकार हो गए है ।चार हजार से ज्यादा लोगों के घर जलाए जा चुके हैं ।250 से ज्यादा चर्चों को जला दिया गया है और करीब 35000 हजार से ज्यादा लोग विषापित हो गए हैं ।1200 गांव के लोग कथित तौर पर भाग गए हैं ।सारे स्कूल ,कॉलेज बंद हैं ।बाजार बंद है और सड़के सुनी है । गांव और सड़को पर सेना दौड़ती नजर आती है । कोई किसी से बात नही करता ।फिर अचानक हमले की खबर आती है और दो चार लाशे गिर जाती है ।

मणिपुर का सच यही है । सरकार बेबस है ।
कह सकते है कि गृहमंत्री अमित शाह के सामने यह बड़ी चुनौती है । मणिपुर का को आलम है उसकी सांसे ज्यादा जिम्मेदारी खुद इनके मंत्रालय और राज्य की बीजेपी सरकार की है ।गृह मंत्री शाह दौरा करने जरूर आए थे ।चार दिन रहे भी ।सभी समुदाय के लोगों से मिले भी लेकिन कोई स्थाई हल नही निकला । जिस दिन अमित शाह इंफाल से वापस लौटे उसी दिन से तांडव फिर से शुरू हो गया और फिर कई लोगों को जाने चली गई । सेना और मणिपुर के चरमपंथियों के बीच हमले जारी है। कहा जा सकता है कि समाज में सरकार के प्रति कोई भरोसा नहीं है ।स्थानीय लोग बीजेपी सरकार को देखना तक पसंद नहीं कर रही है ।कुकी और नागा समुदाय कही एक दिख रहे है तो कही आपस में लड़ रहे है । फिर कही दोनो मिलकर मैतेई समाज पर हमला करते है ।इस बीच जब सेना बीच में आती है तो झड़प होती है और कइयों की जान चली जाती है ।

बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी मर रहे है और घायल भी हो रहे हैं ।
बीते अप्रैल महीने में मैतेई समूह के प्रमुख लिपुन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि जंगलों को काट दो ,नदियों को सुखा दो ,उन्हे खत्म कर दो और आओ हम पहाड़ियों पर अपने पारंपरिक प्रतिद्वंदी का सफाया करें ।और उसके बाद शांति से रहें ।
बता दें कि जब अमित शाह 29 मई को इंफाल पहुंचे तो उन्हें स्वागत करने वाले बैनरों से सामना हुआ ।उनसे नही पूछा गया कि ऐसे समय जब राज्य हिंसा और आगजनी की चपेट में है और बड़े पैमाने पर जान माल की हानि हो रही है तब गृह मंत्री एक महीने से कहां गायब थे ? क्या इसलिए कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है ?

लोग जरूर इस तरह के सवाल कर रहे हैं कि डबल इंजन सरकार का क्या हुआ ।

मीडिया ने भी शाह से यह नही पूछा । अमित शाह 31 मई को कई पहाड़ी इलाकों में गए कई जगह तनावपूर्ण माहौल था ।कही आग लगाई जा रही थी तो कही मारपीट । कई लोग शांति की अपील भी कर रहे थे । इंटरनेट काट दिया गया था । बड़ी संख्या में कुकी जनजाति के लोग मेघालय और मिजोरम में शरण के लिए भाग रहे थे लेकिन शाह ने कुछ भी तो नहीं किया । स्थानीय लोग तो यही मानते है कि यहां जो कुछ हो रहा है बिरेन सिंह के कारण हो रहा है । सब उनकी हो मिलीभगत है । मुख्यमंत्री ने अपने फेसबुक पर कुकी को जंगली और अवैध प्रवासी तक कहा । साफ है कि उन्होंने मैतेई समुदाय को भड़काया

और कबीलों को अलग थलग कर दिया ।
म्यामार में चल रहे गृहयुद्ध ने स्थिति को और भी भयावह कर दिया है । वहां के सैन्य जुटा द्वारा सताए गए लोग म्यांमार से भागकर मिजोरम और मणिपुर आ गए हैं । यहां उनकी रिश्तेदारी भी है और इनसे सहानुभूति भी रखते हैं । कुकी लोगों को लगता है कि वे शरणार्थियों को मानवीय सहायता और आश्रय देने के लिए बाध्य हैं । लेकिन बिरेन सिंह सरकार को लगता है कि ये सभी अविध प्रवासी है और इन्हें निकाला जाना चाहिए ।
कुछ जानकारों को लगता है कि मणिपुर में को कुछ भी हो रहा है यह केवल कानून व्यवस्था का मामला नही है दोनो गुटों को आधुनिक हथियार और गोला बारूद की आसान उपलब्धता एक दूसरे पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित किया है । जानकर मानते है है कि मणिपुर में गृहयुद्ध चल रहा है ।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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