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UPPCL Strike: बिजली कर्मियों की हड़ताल से प्रदेश भर में विद्युत आपूर्ति गड़बड़ी, मचा है हा -हाकर

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UP News लखनऊ/ वाराणसी।गाज़ियाबाद। 72 घंटे के लिए यूपी में विद्युत कर्मियों के हड़ताल पर जाने के बाद पूरे प्रदेश में विद्युत आपूर्ति का संकट छाया हुआ है कई शहरों में बिजली ना आने से वहां हाहाकार मचा हुआ है। इसके साथ ही बिना मौसम की बरसात होने से लोगों को समस्याओं और बढ़ा दिया है।

उधर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने प्रदेश सरकार की याचिका पर हड़ताल पर गए बिजली कर्मियों को तत्काल काम पर लौटने के निर्देश दिए हैं। साथ ही हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए यूपी पावर कारपोरेशन ने कई संगठनों के 19 पदाधिकारियों को भेजा पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि प्रदेश में एस्मा लागू है। ऐसे में हड़ताल या आंदोलन निषिद्ध है।

योगी सरकार ने विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक के लिए हाईकर्ट का दरवाजा खटखटाया था। प्रदेश सरकार को याचिका पर ही हाईकोर्ट ने तुरंत उनसे हड़ताल समाप्त करने का आदेश दिया है। इसके बावजूद प्रदेश भर में विद्युत आपूर्ति नहीं हो पा रही है।।

विद्युतकर्मियों की हड़ताल से वाराणसी में विद्युत व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन के सामने स्थित विजयनगरम मार्केट व अन्य जगहों में पिछले 40 घंटे से विद्युत आपूर्ति बंद है। इस कारण वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के सामने काशी व्यापार मंडल केंट के पदाधिकारियों व क्षेत्रीय नागरिकों ने कैंट रेलवे स्टेशन के सामने सड़क को जाम लगाकर धरना प्रदर्शन किया। धरनारत लोगों का कहना है कि विद्युत आपूर्ति बहाल है, मगर पिछले 40 घंटे से हमारे क्षेत्र में लाइट की व्यवस्था पूरी तरह ठप है।

बता दें कि विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे सहित अन्य नेताओं के खिलाफ वारंट जारी कर दिया गया है।
हाईकोर्ट नें संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने के निर्देश दिए।सोमवार को सभी पदाधिकारियों को हाईकोर्ट ने तलब किया है।

इधर प्रदेश में बिजली कर्मचारी हड़ताल के क्रम में ल गाजियाबाद में भी बिजली कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ।

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गाजियाबाद के राजनगर इलाके सिथत चीफ इंजीनियर विद्युत के दफ्तर के बाहर बिजली कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। बिजली कर्मचारियों द्वारा 72 घण्टे का समय उनकी मांगों को मानने के लिए दिया गया है।


बिजली संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि बीती 3 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच समझौता हुआ था। सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था। अब तीन महीने से अधिक समय गुजर चुका है। मगर समझौते पर अमल नहीं हुआ। 72 घण्टो का समय हड़ताल कर रहे बिजली कर्मचारी संगठन द्वारा किया गया है ।

दरसल दिसम्बर में हुए समझौते में मुख्य मांग थी कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा। लेकिन, इस व्यवस्था को बंद करके अब इन पदों पर स्थानांतरण के आधार पर तैनाती की जा रही है।

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