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President House: मुग़ल गार्डन का हुआ नया नाम अमृत उद्यान, जाने अमृत उद्यान का इतिहास…

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र हुआ तो पहले तो वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन रख दिया गया। इसके बाद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इसके सुंदर फूलों, पेड़ पौधों को आम लोगों को देखने का भी मौका मिलना चाहिए। इसलिए उनके निर्देश पर उन्होने साल भर में एक बार कुछ निर्धारित अवधि के लिए आम जनता को मुगल गार्डन देखने की आजादी दी। आजादी के 76 साल बाद अब मोदी सरकार ने इस गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया गया है।

नई दिल्ली। रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन स्थित मुग़ल गार्डन( Mughal Garden) के नये नाम अमृत उद्यान की पट्टिका का उद्घाटन किया। अब मुग़ल गार्डन को नये नाम अमृत उद्यान से जाना व पहचाना जाएगा।

हर साल की तरह आम लोगों को अमृत उद्यान की प्रकृति की सुंदरता व पुष्पों को देखने लिए 31 जनवरी के खोल दिया जाएगा। आम आदमी भी दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक मुग़ल गार्डन यानी अमृत उद्यान का दीदार कर सकेगी। आईये आपको अमृत उद्यान का इतिहास के बारे में जानकारी देते हैं ।


मुगल गार्डन अब इतिहास के पन्नों में चला गया है। आज से इसे अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा। राष्ट्रपति भवन (President House) अंग्रेजों ने बनवाया था। राष्ट्रपति भवन के परिसर में ही यह उद्यान है। अब सवाल उठता है कि जब इसे अंग्रेजों ने बनाया था तो फिर इस उद्यान का नाम मुग़ल गार्डन क्यों रखा गया ?

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तो आईये आपको कल के मुग़ल गार्डन और वर्तमान व भविष्य के इस अमृत उद्यान (Amrit Udyan) के इतिहास के बारे में जानकारी देते हैं। साल 1911 अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली बना ली थी। तब उन्होंने यहां दिल्ली के रायसीना की पहाड़ियों को काटकर वायसराय हाउस बनाने का फैसला किया। इसके निर्माण के लिए वास्तुकार सर एडविन लुटियंस को बुलाया गया। उसने ही वायसराय हाउस को डिजाइन किया था।


लुटियंस ने ही साल 1917 से वायसराय हाउस बनाने की शुरूआत की। इसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए वहां एक ख़ास बागीचा तैयार किया गया। इस बगीचे में कई तरह के फूल-पौधे और पेड़ों की प्रजातियां लगाई गईं। वर्ष 1928 में ये बगीचा यानी गार्डन बनकर तैयार हुआ। यहां पर 1928 से 1929 तक प्लांटिंग का काम चला।

इसके बाद बारी आई इस बाग के नामकरण की। इस पर विचार करने के दौरान तर्क रखा गया कि मुगलों के शासन में दिल्ली में करीब 1200 से ज्यादा बाग लगवाए थे। अंग्रेजों ने भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए बाग बनवाया है। इसलिए इसका नाम मुगल गार्डन रखना तय किया गया।


26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र हुआ तो पहले तो वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन रख दिया गया। इसके बाद देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि इसके सुंदर फूलों, पेड़ पौधों को आम लोगों को देखने का भी मौका मिलना चाहिए।

इसलिए उनके निर्देश पर उन्होने साल भर में एक बार कुछ निर्धारित अवधि के लिए आम जनता को मुगल गार्डन देखने की आजादी दी। आजादी के 76 साल बाद अब मोदी सरकार ने इस गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया गया है।बाहरी शासकों ने नामों के प्रतीक वाले नामों को हटाने के लिए ने नया नामकरण किया है। बीजेपी सरकार ने स्वदेशी नामों से नामकरण करने के क्रम में ही मुगल गार्डन का नाम अमृत उद्यान रखा गया है।

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