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महिला खिलाड़ियों के साथ यौन उत्पीड़न का नया मामला नहीं, पहले भी इस तरह की कई कहानियां है इसकी बानगी!

Women’s Sports News: लैरी जेराल्डा नसार नाम का व्यक्ति जो 18 साल तक यूनाइटेड स्टेहट्स विमेंस नेशनल जिमनास्टिक (United States Women’s National Gymnastics ) टीम का डॉक्टर था। 500 से ज्यादा लड़कियों का यौन शोषण किया। अपने आसपास की नन्ही बच्चियों और किशोरियों के ख्याल भर से आपकी रातों की नींद हराम हो जाएगी। ये सारी लड़कियां नबालिक नहीं थीं. कुछ तो 10 साल से छोटी उम्र की बच्चियां थीं। उनमें से बहुत सारी बच्चियां ओलिंपिक (olympic) में देश के लिए मेडल लाने के लिए इतिहास रचने वाली थीं. लैरी नसार उन बच्चियों को बहलाकर, कभी डरा-धमकाकर और कभी जान से मार देने की धमकियां देकर उनकी देह का अपने विकृत सुख के लिए इस्तेमाल करता रहा। ऐसा नहीं है कि इन 18 सालों में किसी लड़की ने दबे-छिपे आवाज नहीं उठाई। ऐसा भी नहीं कि पुलिस(police) में शिकायत नहीं दर्ज की गई.ऐसा भी नहीं कि मामला FBI और अदालत तक नहीं पहुंचा. सब हुआ, लेकिन पता है कि उसके नतीजे में क्या हुआ। पुलिस, अदालत, FBI, किसी ने कुछ नहीं किया। पहले FBI ने उन बच्चियों को ही झूठा साबित, उनकी बात पर यकीन करने से मना कर दिया, फिर उन्हें. चुप रहने के लिए उन पर दबाव मनाया गया फिर उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा, उनके Institute को टेंपर किया, उनकी आवाज को दबा

दिया गया। 18 साल बाद उसे 60 साल की जेल, हुई लेकिन इसके लिए उन्हे बहुत लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी।

जब 500 से ज्यादा लड़किंयां उसका शिकार हुई थीं तब कहीं जाकर जिमनास्टिक एसोसिएशन (gymnastics association )की आंख खुली। जो बात धीमी आवाज में कहे जाने पर भी सुन ली जानी चाहिए थी, उसे सुनाने के लिए सैकड़ों लड़कियों और उनके सहयोगियों को साथ मिलकर बहुत जोर से चिल्ला़ना पड़ा। इतनी जोर से कि सुनने वाले के कान के पर्दे फट जाएं। इस समय दिल्ली (delhi) के जंतर-मंतर पर पिछले 8 दिनों से देश की जो लड़कियां धरने पर बैठी हैं, उनकी आवाज भी पुलिस और सत्ता के कानों तक पहुंच नहीं रही।

पुलिस(police) ने 2 FIR दर्ज की, लेकिन वो भी सुप्रीम कोर्ट के हस्तलक्षेप के बाद। ये वही देश है, जहां निर्भया कांड की चिता की राख अब तक बुझी नहीं है। वही देश, जो अपनी एक बेटी के रेप के बाद दर्दनाक मौत के दुख में पुलिस की लाठी खाने सड़कों पर उतरा था. जिसने संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट(supreme court) तक की नींद हराम कर दी थी. जिसके बाद रेप कानून में बदलाव करते हुए उसे सख्त से सख्त कानून बनाने की कोशिश की गई थी। वैसे काफी सख्त हो गया है कानून। इतना सख्त कि लड़कियों के आवाज उठाने पर पुलिस FIR तक नहीं दर्ज करती.

बलात्कारी झोपड़-पट्टी में रहने वाला कोई मामूली इंसान हो तो उसे फांसी पर चढ़ा देना आसान है, लेकिन 2 मंजिला बडे महलों जैसी कोठी में रहने वाला, ऑडी में चलने वाला, अरबों की संपदा का मालिक और सत्ता का करीबी हो तो उसके खिलाफ FIR भी बड़ी मुश्किल से दर्ज होती है। शुक्र है साक्षी मलिक, विनेश फोगाट जैसी महिलाएं खुद सफल रेसलर, देश के लिए मेडल लाने वाली, देश का नाम ऊंचा करने वाली महिलाएं हैं। कोई गुमनाम मामूली सी लड़की होती तो कब गायब हो जाती पता ही नहीं चलता। होटल की रिसेप्शीनिस्ट( receptionist) होती तो जला दी जाती, तंदूर में झोंक दी जाती, मारकर मगरमच्छ को खिला दी जाती.

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लैरी नसार (Larry Nassar) की ताकत, पुलिस और सत्ता के गलियारों में उसकी गहरी दोस्तियों के आगे उन छोटी, मामूली बच्चियों की बिसात ही क्यास थी, भले अपनी मेहनत, काबिलियत और क्षमता के बूते वो देश के लिए 10 गोल्ड मेडल लेकर आई हों। अपने देश की कहानी भी कुछ अलग नहीं है। लड़कियां देश का नाम खराब कर रही हैं, सरेबाजार मर्द की इज्जत उछाल रही हैं और मर्द बेचारा बना भरी प्रेस Press confrence में झूठ बोल रहा है। सियासी दांव-पेंच खेल रहा है, इसे कांग्रेस(congress) की साजिश बता रहा है।

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