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‘रण’ को जीतने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में छिड़ा ‘रण’!

Political News Update INDIa Alliance Parties | Highlights Today

Political News: लोकसभा चुनाव (Loksabha election) के रण को जीतने के लिए विपक्ष और पक्ष…दोनों ही ओर से पूरी ताकत लगाई जा रही है, लेकिन ये ताकत विपक्षी नेताओं में दिख नहीं रही। क्योंकि एक ओर तो समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करदी है। तो वहीं कांग्रेस अभी मंथन ही कर रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ उनका रिश्ता बरकरार रहेगा। सीटों पर जो पेच फंसा है, वो जल्द ही निकल जाएगा। जिसके बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कांग्रेस की न्याय यात्रा (Congress Nyay Yatra) में भी शामिल होंगे और दोनों दल I.N.D.I.A गठबंधन (Alliance) के तहत लोकसभा की लड़ाई में भी एक साथ उतरेगी।

मगर असली सवाल उन 17 सीटों का है, जिसके आगे समाजवादी पार्टी बढ़ने को तैयार नहीं है  और कांग्रेस को इस पर इकरार नहीं। सवाल है कि आखिर इन 17 सीटों में ऐसा क्या है, जो समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को ऑफर की है ये सीटें (Seats) हैं। रायबरेली, अमेठी, कानपुर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज,वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, हाथरस, बाराबंकी और देवरिया (Rae Bareli, Amethi, Kanpur, Fatehpur Sikri, Bansgaon, Saharanpur, Prayagraj, Maharajganj, Varanasi, Amroha, Jhansi, Bulandshahr, Ghaziabad, Mathura, Hathras, Barabanki and Deoria.)

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दरअसल कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने जानबूझकर कांग्रेस को ऐसी सीटें ऑफर की है, जहां समाजवादी पार्टी कमज़ोर रही है और बीजेपी की बादशाहत रही है।आपको बता दें कि इन 17 सीटों में 9 सीट SP कभी नहीं जीत पाई है। ये सीटें हैं अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, बागपत, गौतमबुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, फतेहपुर सीकरी, हाथरस और कानपुर जबकि 6 ऐसी सीटें हैं, जिन पर पर समाजवादी पार्टी सिर्फ एक बार जीती है। ये 6 सीटें हैं अमरोहा, सहारनपुर, बुलंदशहर, झांसी, सीतापुर और महाराजगंज सिर्फ 2 सीटें ही ऐसी हैं, जहां SP दो या दो से ज़्यादा बार जीत पाई है।  कैसरगंज में एसपी ने 5 बार जीत हासिल की, वहीं बाराबंकी में 2 बार झंडा बुलंद किया।

यानी 17 में से 15 सीटों पर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) बेहद कमज़ोर रही है और तो और, इनमें से एक-दो सीट को छोड़कर बाकी जगहों पर कांग्रेस की स्थिति भी खास नहीं है। मोदी लहर के बीच हुए पिछले 2 चुनावों के आंकड़ों पर नज़र डालें तो 2019 के चुनाव में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली में जीती, जबकि 2014 में कांग्रेस को रायबरेली के साथ अमेठी में जीत हासिल हुई। जबकि उसके पहले 2009 में भी कांग्रेस रायबरेली, अमेठी, कानपुर, महाराजगंज, झांसी और बाराबंकी में ही जीत पाई थी।

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यही वजह है कि 17 सीटों के इस गणित को कांग्रेस के खिलाफ़ अखिलेश यादव का गेम कहा जा रहा है। मगर फिलहाल कांग्रेस सही वक्त का इंतज़ार कर रही है। वहीं बीजेपी गठबंधन में आई दरार के लिए भी राहुल को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।

मुश्किल ये है कि जहां बीजेपी लोकसभा चुनाव (BJP Loksabha Election) के लिए पूरी ताकत और रणनीति के साथ मैदान में उतरने का ऐलान कर चुकी है। वहीं कांग्रेस अभी तक केंद्र सरकार (Central Government) के खिलाफ़ विपक्षी दलों (Opposition Parties) को एकजुट भी नहीं कर पाई है। पहले नीतीश (Nitish) और फिर ममता (mamta Banerjee) के अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अगर अब अखिलेश भी हाथ से फिसल जाते हैं तो ये कांग्रेस के लिए करारा झटका होगा ।

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