ट्रेंडिंगधर्म-कर्मन्यूज़बड़ी खबरराजनीति

सनातन धर्म पर आखिर देश भर में तीखी बहस क्यों शुरू हो गई है? क्या यह मुद्दा बहुत जरुरी है?

Sanatan Dharma: जो लोग धर्म के नाम पर ही रोटियां सेंकते हैं उन्हें तो धर्म से बड़ा कुछ दिखता ही नहीं। इसरो के वैज्ञानिकों ने बिना धर्म देखें ही इसरो को इतना मजबूत किया कि आज इसरो दुनिया के देशों में जामित हो गया है। इसरो में सभी धर्म के वैज्ञानिक काम करते हैं। हर समाज के वैज्ञानिक यहां हैं। कोई किसी से नहीं पूछता कि तुम्हारा धरम और मजह क्या है। सब यही कहते हैं कि हम भारतीय हैं और इसरो के वैज्ञानिक हैं।

Sanatan Dharma

Read: अयोध्या के संत का ऐलान, उदयनिधि स्टालिन का सिर कलम करने वाले को दिया जाऐगा 10 करोड़

लेकिन धर्म तो आज राजनीति का सबसे बड़ा हॉट केक वस्तु है। हालांकि धर्म को राजनीति से हमेशा अलग रखने की बात की जाती है लेकिन भारत जैसे दुनिया के कुछ देशों में धर्म राजनीति पर हावी है। जो धर्म कहता है वही राजनीति कहती है। भारत के ही इसी धार्मिक किताबों में उल्लेख है कि दलित और शूद्रों को धार्मिक बातें नहीं सुनने चाहिए और न पढ़नी चाहिए। क्या यह धर्म अगर अपने पर इतराता है तो उसे क्या कहा जायेगा?

दरअसल यह सब सनातम धर्म (Sanatan Dharma) के नाम पर हो रहा है। सनातन धर्म (Sanatan Dharma) तो जीने की राह है। यह सर्वोत्तम राह हो सकता है लेकिन इस राह पर चलने का आप ठीक से अनुसरण करते हैं। लेकिन ठीक से इस राह पर चलता कौन है? जब धर्म में पाखंड आ जाता है तो धर्म और धार्मिक व्यक्ति भी संदेह के घेरे में चला आता है। और आज यही सब दिख रहा है।

बीजेपी की दिक्कत यह है कि वह धर्म के आसरे खुद को स्थापित करती है लेकिन सच यही है कि बीजेपी के साथ जो नेता काम करते नजर आते हैं वे खुद न पूर्ण सनातनी हैं और न ही धार्मिक। वे अपने मुताबिक़ कानून बनाते हैं और अपने मुताबिक आचरण पर ही चलना चाहते हैं .बीजेपी के लोग यह मानकर चलते हैं कि वे जो कह रहे हैं वही अंतिम सच है। लेकिन सच तो यह है कि अंतिम सच को जानता ही नहीं। ईश्वर के बिना अंतिम सच हो ही नहीं सकता। और अंतिम सच तो मौत है। और मौत के सिवा इस दुनिया और संसार में जो कुछ भी होता दिखता है वह सब एक माया है। इस माया से कौन नहीं बंधा हैं? माया के बिना तो कुछ संभव ही नहीं। माया ही दुनिया है। माया ही संसार है। माया से कोई परे नहीं हो सकता। माया से परे तो सिर्फ ईश्वर ही है। और मानव कभी ईश्वर नहीं बन सकता।

सनातन पर मचे प्रपंच के बीच राजनीति कुलांचे मार रही है। तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी को लेकर देश में बवाल है। बहस जारी है। बीजेपी इस मसले को प्रमुखता से उठा रही है। संभव है इस मुद्दे को उठाने से उसे कोई राजनीतिक लाभ हो। लेकिन क्या देश और समाज के लोग बीजेपी की बात को ही सुन रही है? क्या लोगों को नहीं लग रहा है कि धर्म के नाम पर देश काे गुमराह किया जाता है और मानव समाज को अन्धविश्वास में भी धकेला जाता है? अब बीजेपी ने स्टालिन की तुलना हिटलर से कर दी है। बीजेपी ने कहा है कि स्टालिन का भाषण पूर्णतः घृणा फैलाने वाले हैं। बीजेपी ने यह भी आरोप लगाए है कि स्टालिन की टिप्पणी देश के 80 प्रतिशत लोगों के नरसंहार का आह्वान है, जो सनातन धर्म का पालन करते हैं।

Sanatan Dharma

अब स्टालिन के बयान के कई अर्थ लगाए जा रहे हैं। लेकिन यह विवाद कब तक आगे चलेगा कोई नहीं जानता। स्टालिन ने एक सभा में यह कहा था कि सनातन धर्म (Sanatan Dharma) के उन्मूलन की जरूरत है। यह कई बीमारियों की तरह है। अब बीजेपी ने इस मुद्दा को जड़ से पकड़ लिया है। किसी भी धर्म में कमियों को दूर करने की जरूरत हो सकती है लेकिन किसी भी धर्म और आस्था को ख़त्म नहीं किया जा सकता। लेकिन धर्म पर इस तरह की राजनीति देश को बांटने जैसा खेल हो सकता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

Show More

Akhilesh Akhil

Political Editor

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button